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कपास की फसल में पौधों के सूखने की समस्या पर ऐसे करें नियंत्रण
कपास की फसल में पौधों के सूखने की समस्या पर ऐसे करें नियंत्रण
कपास एक मुनाफे वाली फसल है। इसकी खेती की अच्छे से देखभाल करके किसान अधिक पैदावार ले सकते हैं। किन्तु कपास में बहुत से रोगों और कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। इनमें से ही एक समस्या है- कपास के पौधों का सूखना। इस समस्या से कपास के पौधे सूखने लगते हैं और फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। किसान समय से इस समस्या को नहीं पहचान पाते हैं और फिर यह समस्या पूरी खेत में फैल जाती है। इससे फसल को नुकसान पहुंचता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को कपास के पौधों के सूखने की समस्या के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
कपास के पौधों के सूखने की समस्या के कारण
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जड़ गलन रोग
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विगलन या उखटा रोग
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फ्यूजेरियम विल्ट रोग
जड़ गलन रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय
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यह रोग राइजोक्टोनिया बटाटीकोला नामक फफूंद के कारण होता है।
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कई बार खेत में जल जमाव के कारण भी जड़ गलन समस्या होती है।
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इससे पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं।
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इस रोग के होने पर पौधे सूखने लगते हैं।
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जड़ गलन रोग पर नियंत्रण के लिए उचित फसल चक्र अपनाएं।
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प्रभावित पौधों को दूसरे खेत में ले जाकर या तो दबा दें या फिर जला कर नष्ट कर दें।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।
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नमी वाले क्षेत्र में जड़ गलन रोग से बचाव के लिए हमेशा प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
विगलन या उखटा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय
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इस रोग से पौधों की संख्या घट जाती है।
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फसल के उत्पादन में कमी देखने को मिलती है और पौधे मुरझा जाते हैं।
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उखटा रोग के रोकथाम के लिए जुताई के बाद मिट्टी को तेज धूप में छोड़ दें।
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पौधों के बीच अधिक स्थान छोड़ें।
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2 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
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50 किलोग्राम डी-ए-पी उर्वरक को 10 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फ़ेट और 5 किलोग्राम सल्फर को एक साथ रगड़कर प्रति एकड़ में रिंग विधि द्वारा डालें।
फ्यूजेरियम विल्ट रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय
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फ्यूजेरियम विल्ट रोग मिट्टी और बीज में पाए जाने वाला फफूंद मैक्रोफोमिना फैजियोलिना के कारण होता है।
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इस रोग का पहला लक्षण पौधों का मुरझाना है।
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अधिक प्रकोप होने पर पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती है एवं पौधा सूखने लगता है।
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पहले यह रोग एक पौधे में लगता है। उसके पश्चात पूरे खेत में फैल जाता है।
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इस रोग से बचाव के लिए फसल की बुआई से पहले बीजों का उपचार करें।
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आखिरी जुताई के समय मिट्टी में गोबर खाद और नीम खली का इस्तेमाल करें।
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संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
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बीमारी के रोकथाम के लिए प्रति एकड़ खेत में 100 लीटर पानी में 1 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड नामक दवाई मिलाकर छिड़कें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और कपास की फसल में पौधों के सूखने की समस्या पर नियंत्रण कर, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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