जड़ गलन रोग कपास की फसल में लगने वाले कुछ घातक रोगों में से एक है। इस रोग के कारण 5 से 17 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो जाते हैं। इस रोग का प्रकोप कपास की खेती किए जाने वाले लगभग सभी क्षेत्रों में होता है। अगर आप भी कपास की खेती कर रहे हैं तो फसल को इस रोग से बचाने के लिए इस रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव के तरीके जानना आवश्यक है। आइए कपास की फसल में जड़ गलन रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
जड़ गलन रोग का कारण
यह रोग राइजोक्टोनिया बटाटीकोला नामक फफूंद के कारण होता है।
कई बार खेत में जल जमाव के कारण भी जड़ गलन होने की सम्भावन होती है।
जड़ गलन रोग के लक्षण
पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं।
रोग से प्रभावित पौधों के छाल फटने लगते हैं।
जड़ें अंदर से भूरे एवं काले रंग के हो जाते हैं।
इस रोग के होने पर पौधे सूखने लगते हैं।
जड़ गलन रोग पर नियंत्रण के तरीके
पौधों को इस रोग से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
रोग को फैलने से रोकने ले लिए प्रभावित पौधों को जला कर नष्ट कर दें।
बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।
इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 8 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।
जड़ गलन रोग से प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
देसी कपास की आर जी 18, सी ए 9 एवं सी ए 10 किस्मों का चयन करें। यह किस्में जड़ गलन रोग के लिए सहनशील हैं।
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