गुलाबी इल्ली के कारण कपास की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। इस कीट को गुलाबी सुंडी और पिंक बॉलवर्म के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप भी कर रहे हैं कपास की खेती तो पौधों को इस रोग से बचाने के लिए गुलाबी इल्ली के प्रकोप का लक्षण एवं बचाब के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए गुलाबी इल्लियों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
गुलाबी इल्ली के प्रकोप का लक्षण
यह कीट फूलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
इस कीट का प्रकोप होने पर कलियां आपस में चिपकने लगती हैं।
लार्वा कलियों को खा कर फसल को क्षति पंहुचाते हैं।
लार्वा बड़े हो कर बीज एवं रेशों को खाते हैं। जिससे पैदावार में भारी कमी आती है।
गुलाबी इल्ली पर नियंत्रण के तरीके
प्रति एकड़ जमीन में 2 से 4 फेरोमन ट्रेप लगाएं।
कपास में जब फूल निकलने के समय 15 लीटर पानी में 15-20 मिलीलीटर डेल्टामेथरिन 2.8 ई.सी या ट्राइजोफ़ोस 40 ई.सी या कर्बरील 50 डबल्यूपी 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
आवश्यकता होने पर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव कर सकते हैं।
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