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कोलियस है औषधीय गुणों का खजाना, जानें इसकी खेती से जुड़ी जानकारियां

कोलियस है औषधीय गुणों का खजाना, जानें इसकी खेती से जुड़ी जानकारियां

कोलियस को पत्थरचूर एवं पाषाण भेद के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधे देखने में बहुत आकर्षक होते हैं। इसलिए बागवानी के शौकीन व्यक्ति इसे अपने घर के बगीचों में भी लगते हैं। इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं जिस कारण इसकी खेती कर के किसान मोटी कमाई कर सकते हैं। आइए कोलियस की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

कोलियस की खेती का उपयुक्त समय

  • कोलियस के नए पौधों को लगाने के लिए फरवरी का महीना सर्वोत्तम है।

  • इसके अलावा इसकी खेती जून महीने में भी की जाती है।

  • पॉलीहाउस में तापमान को नियंत्रित कर के इसकी खेती ठंड के मौसम में भी की जा सकती है।

कोलियस की खेती का सही तरीका

  • इसकी खेती बीज की बुवाई के द्वारा की जाती है।

  • इसके साथ ही कोलियस की खेती पौधों की कटिंग लगा कर भी की जा सकती है।

  • इसकी खेती क्यारियों में करनी चाहिए।

  • सभी क्यारियों के बीच 2 फीट की दूरी रखें।

  • पौधों से पौधों के बीच करीब 8 इंच की दूरी होनी चाहिए।

  • बेहतर पैदावार के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 8 टन वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं।

फसल के तैयार होने का समय

  • फरवरी में लगाईं गई फसल जून-जुलाई में तैयार हो जाती है।

  • वहीं जून महीने में लगाए गई फसल अक्टूबर-नवंबर महीने तक तैयार हो जाती है।

फसल की पैदावार एवं मुनाफा

  • प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 6 से 8 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

  • बाजार में 350 से 600 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से इसकी बिक्री होती है।

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