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corona safety | कोरोना सुरक्षा
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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किसान चाचा का टीकाकरण ज्ञान

किसान चाचा का टीकाकरण ज्ञान


कोरोना कोरोना बहुत हो गया, अब टीकाकरण की है बारी,
आज आप सब से बाटूँगा, खुद के टीकाकरण के अनुभव सारी |

लोगों को टीकाकरण के लिए रजिस्टर करते टीवी पे देखा तो मैंने भी फ़ोन उठाकर कोविन एप  पर रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर दिया | शुरुआत में दो बार सर्वर व्यस्त होने के कारण से रजिस्टर नहीं कर पाया मगर तीसरी बार में सफलता मिल गयी और मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने जीवन की सबसे लम्बी रेस जीत ली है, मगर दूसरे ही पल सोशल  मीडिया पर आ रही अफवाहों के डर को याद कर सहम कर बैठ गया क्योकि जो चीजे मुझे वहां वैक्सीन लगवाने के बाद  के बारे में मिल रही थी वह बहुत ही ज्यादा भयावह थी | मैंने तुरंत अपने एक मित्र को फ़ोन मिलाया जिसने हफ्ते दिन पहले वैक्सीन लगवाई थी और उस से सारी  जानकारी लेने का प्रयास किया और उसने भी बताया कि वैक्सीन लगवाने में ही भलाई है और ये जो बाते सुनने को मिल रही है वो अफवाह मात्र है इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है इसलिए बेझिझक होकर जाओ और वैक्सीन लगवाओ | फिर भी मेरे दिमाग में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी वही बाते बार बार दिमाग में घूम रही थी कि वैक्सीन लगवाने  पर और भी ज्यादा तबियत ख़राब हो जाता है और सेंटर  पर जाने से कोरोना हो जाने का खतरा भी रहता है | खैर किसी तरीके से खुद को टीकाकरण  के लिए तैयार करने लगा और सोचने लगा  कि

तनहा राही, अपनी राह चलता जाएगा
अब जो भी होगा, देखा जाएगा |

अगले दिन मैं तय समय से सेंटर पर पहुंच गया|  कोरोना के खतरे से खुद को बचाने के लिए मैंने डबल मास्क, शील्ड , दस्ताने और टोपी लगा रखी थी

रहिमन घर से जब निकलो, रखो मास्क, शील्ड और दस्ताने  लगाय,
ना जाने किस वेश में, मिलने कोरोना आ जाए|

और धुप एवं गर्मी से बचने के लिए एक छतरी, पानी की बोतल और अपनी पहचान को सत्यापित करने के लिए आधार कार्ड भी साथ रख लिया था|
सेंटर पर थोड़ी देर कतार  में  इंतजार के बाद मेरा भी टीकाकरण  का नंबर आया | मैं बहुत डरा हुआ था | डॉक्टर ने मुझे टीकाकरण  के पहले पानी पीकर रिलैक्स होने को कहा | मैंने पानी पिया और गहरी लम्बी सांस के साथ खुद को रिलैक्स किया | डॉक्टर ने जब यह देखा की मैं बहुत डरा हुआ हूँ तो उन्होंने मुझ से डर का कारण जानना चाहा तो मैंने उन्हें टीकाकरण के बाद  शरीर के अंदर बढ़ने वाली गर्मी ,बुखार , बदनदर्द  के बारे में बताया तो उन्होंने मुझे समझाया | उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में होने वाली गर्मी ठीक वैसे ही है जैसा परिवार में नए मेहमान का स्वागत | जैसे हम नए मेहमान का स्वागत गर्म जोशी से करते है वैसे ही हमारा शरीर वैक्सीन  का स्वागत गर्मजोशी के साथ करता है इस से घबराना नहीं है टीकाकरण के बाद कुछ लोग बुखार व बदन दर्द का शिकार होते हैं, लेकिन दो-चार दिन दवाई  लेने  में ये ठीक हो जाता है।
बातों ही बातों में उन्होंने मुझे कब वैक्सीन लगाया, ये मुझे तब पता चला जब मुझे चींटी काटने की तरह महसूस  हुआ | रात में आराम से खाना भी खाया और परिवार के साथ कॉमेडी फिल्म भी देखी|
आधी रात में सोते वक़्त मुझे ऐसा लगा की शरीर भारी हो रहा है और बुखार भी महसूस हो रहा है तो मैंने डॉक्टर के द्वारा दी गयी मेडिसिन  निकाल कर खा लिया| अगले दिन शरीर में थोड़ी सुस्ती थी तो मैंने पूरा दिन आराम किया और रात में फिर मेडिसिन लेकर सो गया | दो दिनों के बाद मैं बिलकुल तरोताजा महसूस कर रहा था और मैंने दफ्तर के काम दोगुने जोश से करने लगा| मैं नार्मल  रूटीन  में वापस आ चूका हूँ |

मैंने तो वैक्सीन लगवा, पूरी की है अपनी जिम्मेवारी
अब आपकी है बारी, तभी ख़त्म होगी  यह महामारी|

इसलिए अपने समस्त देहात परिवार को, दे रहे है अमूल्य ज्ञान,
लगवा लिया टीका, तभी बचेगी आपकी जान |


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