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किनोवा : जानें खेती से जुड़ी बारीकियां

किनोवा : जानें खेती से जुड़ी बारीकियां

भारत में किनोवा की खेती मुख्यतः रबी मौसम में की जाती है। यह कम लागत में बेहतर मुनाफा देने वाली फसल है। अंतराष्ट्रीय बाजार में किनोवा के बीज की बिक्री बहुत अधिक मूल्य पर होती है। बीज के अलावा इसके पत्तों को भी खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। किनोवा में कई तरह के औषधीय तत्व पाए जाते हैं। यह हमारे शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक है। भारत के अलावा इसकी खेती इंग्लैड, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चाइना, बोलविया, पेरू, आदि देशों में भी की जाती है। आइए औषधीय गुणों के भरपूर किनोवा की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

किनोवा की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • किनोवा की मुख्य रूप से अक्टूबर महीने में की जाती है।

  • इसके अलावा इसकी बुवाई फरवरी-मार्च महीने में भी की जाती है।

  • कुछ क्षेत्रों में इसकी बुवाई जून-जुलाई महीने में भी की जाती है।

खेत तैयार करने की विधि

  • खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले 2 से 3 बार जुताई करें।

  • आखिरी जुताई के समय खेत में 2.24 टन गोबर की खाद मिलाएं।

  • जुताई के बाद खेत में पाटा लगा कर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं।

  • खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

बीज की मात्रा एवं बुवाई की विधि

  • प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 700 से 800 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बीज की बुवाई 1.5 से 2 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है।

  • पौधों से पौधों से बीच की दूरी 10 से 14 इंच होनी चाहिए।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • किनोवा के पौधों को पानी की आवश्यकता कम होती है।

  • पौधों को लगाने से फसल की कटाई तक केवल 3 से 4 बार सिंचाई की जाती है।

  • खरपतवारों पर नियंत्रणके लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें।

फसल की कटाई

  • फसल को तैयार होने में करीब 100 दिनों का समय लगता है।

  • इसके पौधों की ऊंचाई करीब 4 से 6 फीट तक होती है।

  • इसके बाद इसकी कटाई थ्रेशर से की जाती है।

  • प्रति एकड़ खेत से 10 से 18 टन तक पैदावार होती है।

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