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कई सालों तक दानों में छिपा रहता है यह रोग, सही समय पर पहचान है जरूरी

कई सालों तक दानों में छिपा रहता है यह रोग, सही समय पर पहचान है जरूरी

गेहूं में करनाल बंट के समान कंडवा रोग के लक्षण भी गेहूं की बालियां बनने के उपरांत देखने को मिलते हैं। यह गेहूं में लगने वाला एक प्रकार का बीज जनित फफूंद रोग है जिसका नियंत्रण फसल बुवाई के दौरान किए बीज उपचार के द्वारा ही संभव हो पाता है। रोग के लक्षण बालियां बनने के उपरांत पहचाने जा सकते है, जिसमें अधिक संक्रमण के कारण दानों पर काले पाउडर का जमाव दिखता है।

कंडवा रोग को कई जगहों पर लूज स्मट या अनावृत्त कंडवा के नाम से भी जाना जाता है। यह अस्टिलैगो सेजेटम नामक कवक के द्वारा फैलने वाला रोग है, जिसके कण हवा द्वारा फैलकर भी खड़ी स्वस्थ फसल को अपनी चपेट में ले लेते हैं। यह रोग कई बार फसलों में बिना किसी लक्षण के भी देखा जा सकता है। इस स्थिति में किसान रोग के लक्षणों की पहचान करने में असमर्थ रह जाते हैं और भंडारण या बुवाई के समय बीज के भ्रूण भाग में छिपकर यह रोग फसल चक्र में कई सालों तक जीवित रह जाता है।

गेहूं में कंडवा रोग को कैसे नियंत्रित करें?

गेहूं में कंडवा रोग को नियंत्रित करने के लिए बीज उपचार एक आसान और प्रभावी उपाय है। इसके अलावा आप किसान निम्नलिखित उपायों के प्रयोग से भी रोग में कुछ हद तक नियंत्रण पा सकते हैं।

  • कार्बोक्सिन 37.5% + थीरम 37.5% डब्लूएस की 3 ग्राम मात्रा का प्रयोग प्रति किलोग्राम बीज उपचारित करने के लिए करें।

  • आप 2 ग्राम टेबुकोनाजोल का प्रयोग भी प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करने के लिए कर सकते हैं।

  • फसल में रोग के लक्षण दिखने पर छिड़काव के लिए कासुगामायसिन 5% के साथ कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% की कुल 300 ग्राम मात्रा का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।

  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस की 250 ग्राम मात्रा का छिड़काव 150-200 लीटर पानी में मिलाकर जैविक छिड़काव के रूप में प्रति एकड़ की दर से करें।

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अन्य फसलों की तरह ही गेहूं की फसल में भी बीज उपचार प्रक्रिया एक अहम भूमिका निभाती है। बीज उपचार न केवल फसल को कई तरीकों के कीटों से बचाता है, बल्कि फसल से एक बेहतर पैदावार प्राप्त करने में भी मदद करता है। गेहूं के बीज उपचारित करने के लिए बाजार में कई तरह के उत्पाद आपको देखने को मिल जाएंगे ऐसे में हमारी सलाह है कि अपनी किस्म के आधार पर सही उत्पाद का चयन जरूर करें। रोग और रोग नियंत्रण से जुड़ी अधिक जानकारी या किसी भी प्रकार के सवालों के जवाब आप देहात टोल-फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों से सीधे जुड़ कर पा सकते हैं।


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