पोस्ट विवरण
कई रोगों से बचाता है यह औषधीय फल, बाजार में हरदम बनी रहती है मांग
परिचय
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आंवला विटामिन सी के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है और आचार मुरब्बा और जूस जैसे कई प्रकार में प्रयोग होने के कारण बाजार में इसकी मांग बनी हुई रहती है।
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आंवले के गुणों का व्याख्यान आयुर्वेद में भी एक गुणकारी फल के रूप में किया गया है और लगभग 5,000 वर्षों से भारत में स्वदेशी चिकित्सा में एक मुख्य खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग होता हुआ आ रहा है।
आंवले के औषधीय गुण
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आंवले में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
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आंवला शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायक है जिससे शरीर में खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
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आंख, बाल और त्वचा से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या में आंवले का सेवन एक बेहद ही कारगार विकल्प है।
खेती का समय
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पौधों की रोपाई के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। इसलिए जुलाई से सितम्बर का समय रोपाई के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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फरवरी से मार्च के मध्य में भी आंवले की पौध रोपाई की जा सकती है।
खेती के लिए उपयुक्त जलवाय़ु
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आंवला गर्म जलवायु में उगाई जाने वाली फसल है, साथ ही शुष्क जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है।
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आंवले के पौधे 0 से 45 डिग्री तक तापमान सहन कर सकते हैं।
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अधिक ठंड फलों के गिरने का कारण बनती है।
खेती के लिए आवश्यक मिट्टी
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रेतीली मिट्टी को छोड़ सभी प्रकार की मिट्टी में आंवले की खेती की जा सकती है। बेहतर फसल प्राप्ति के लिए जल निकास मिट्टी का चयन करें।
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मिट्टी का पीएच मान 6.5-9.5 के मध्य होना चाहिए।
खेत की तैयारी
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खेत को अच्छी तरह से जोत कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
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पौध लगाने के लिए कम से कम 1 मीटर गहरा गड्ढा खोद लें।
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गड्ढों के बीच की दूरी 4.5 मीटर रखें।
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गड्ढों को 15 से 20 दिन के लिए खुला छोड़ दें।
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पौधों की रोपाई के लिए लगभग 5 किलो गोबर की खाद प्रति गड्ढा डालें और पौधे लगा लें।
सिंचाई प्रबंधन
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गर्मियों में 7 दिन के अंतराल या अधिक गर्मी होने पर हफ्ते में दो बार सिंचाई करें।
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बरसात के मौसम में आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करें।
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सर्दियों में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है।
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फल बनने के समय पर पेड़ों पर प्रतिदिन सिंचाई करें।
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आंवले की खेती से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर कॉल कर देहात कृषि विशेषज्ञों से सीधे सवाल पूछ सकते हैं।
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