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कई गुणों से भरपूर है यह फसल, बंजर भूमि में भी मिलता है अधिक उत्पादन
कई गुणों से भरपूर है यह फसल, बंजर भूमि में भी मिलता है अधिक उत्पादन
सनाय को भारत के कई क्षेत्रों में सोनामुखी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक कांटे रहित झाड़ीनुमा औषधीय पौधा है जिसे बंजर जमीन पर भी बहुत आसानी से उगाया जा सकता है। सनाय की खेती मौसम एवं जलवायु के अनुसार कई क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर की जाती है। उत्तर भारत में सनाय की खेती का उपयुक्त समय नवंबर का होता है वहीं पश्चिम भारत में जून, जुलाई व अक्टूबर-नवंबर एवं दक्षिण भारत में सितंबर-अक्टूबर के समय पर सनाय की खेती की जाती है। सनाय कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्रों में खेती करने वाले किसानों के लिए एक फायदेमंद फसल है। इसके साथ ही कम देखभाल, सिंचाई, रोग, कीट जानवरों के द्वारा किसी भी प्रकार का नुकसान न होने जैसे कारक इसे किसानों के लिए एक फायदेमंद फसल बनाते हैं।
सनाय मुख्यतः दलहनी फसलों की श्रेणी में आने वाली फसल है जिसकी केवल एक फसल से ही 4 से 5 साल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। पौधा 4 से 50 डिग्री तक के तापमान को सहन कर सकता है। फसल किस्मों के आधार पर 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसे पत्तियों और दानों के रूप में अलग-अलग बाजार में बेचा जाता है। फसल से प्रति एकड़ 150 से 250 किलोग्राम प्रति एकड़ पत्तियों का उत्पादन किया जाता है। वहीं दानों की उपज 1.5 से 3 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है।
सोनामुखी के फायदे
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सनाय का प्रयोग कब्ज और पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत दिलाता है।
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चूर्ण रूप में बालों एवं त्वचा पर लगाने से यह त्वचा और बालों संबंधी परेशानियों को भी दूर करता है।
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सनाय मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी एक अहम भूमिका निभाता है।
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पौधों में वर्ष भर फूल खिलते हैं, जिससे मधुमक्खी पालन कर रहे किसान इसका दोगुना फायदा उठा सकते हैं।
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सनाय के पत्ते वजन कम करने के लिए भी प्रयोग किए जाते हैं। जिसके कारण हर्बल टी जैसे उत्पादों के निर्माण में इसका प्रयोग किया जाता है।
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कई रूपों में प्रयोग होने वाली औषधीय फसल सनाय किसानों के लिए एक उन्नत व्यावसायिक फसल है, जो कम देखभाल और लागत के साथ अधिक लाभ देने के लिए जाने जाती है। खेती से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें।
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