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औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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खस की खेती से पाएं मुनाफे की खुशियां

खस की खेती से पाएं मुनाफे की खुशियां

खस को खसखस एवं वेटीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सुगंधित पौधा है। कुछ वर्ष पहले तक इसकी खेती केवल दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में की जाती थी। लेकिन अब इसकी खेती गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, में बड़े पैमाने पर की जाती है। खस की जड़ों से निकलने वाले तेल की बिक्री बहुत अधिक मूल्य पर होती है। आइए खस की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

पौधों की पहचान

  • यह एक झाड़ी की तरह नजर आने वाला पौधा है।

  • पौधों  की ऊंचाई 2 से 3 मीटर होती है।

  • वर्षा के मौसम में पौधे तेजी से बढ़ते हैं।

  • गर्मी एवं ठंड के मौसम में पौधों का विकास धीमी गति से होता है।

  • अक्टूबर-नवंबर महीने में पौधे में फूल निकलते हैं।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • बलुई मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी में खेती करने पर जड़ों का बेहतर विकास होता है और खुदाई में भी आसानी होती है।

  • इसके अलावा पोषक तत्वों से भरपूर भारी मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।

  • चिकनी मिट्टी में खस की खेती करने से बचें।

  • पौधों के बेहतर विकास के लिए उष्ण एवं उपोषण जलवायु उपयुक्त है।

  • इसकी खेती काम वर्षा वाले क्षेत्रों के साथ भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।

खेत की तैयारी एवं रोपाई की विधि

  • खेत तैयार करते समय 2 से 3 बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार एवं अन्य फसलों की जड़ें पूरी तरह नष्ट हो जाएंगी।

  • इसके बाद हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बना लें।

  • जुताई के बाद खेत में भूमि की सतह से 15 -20 सेंटीमीटर ऊंची और 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी क्यारियां तैयार करें।

  • सभी क्यारियों के बीच 50 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

  • क्यारियों के दोनों तरफ 25 से 35 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • रोपाई के तुरंत बाद फसल की पहली सिंचाई करें।

  • वर्षा होने पर पौधों में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • पौधों के बेहतर विकास के लिए शुष्क मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।

  • खस का विकास तेजी से होता है इसलिए फसल में खरपतवार के पनपने का खतरा कम रहता है।

  • खरपतवारों की समस्या होने पर निराई-गुड़ाई करें।

फसल की कटाई

  • भूमि की सतह से 15 से 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई से पौधों के तनों की कटाई करें।

  • तनों की कटाओ के बाद फसल की खुदाई की जाती है।

  • रोपाई के 18 से 24 महीनों बाद जड़ों की खुदाई की जा सकती है।

पैदावार एवं मुनाफा

  • प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 1.2 से 2 टन ताजी जड़ें प्राप्त होती हैं।

  • प्रति एकड़ भूमि से 4.8 से 6.8 किलोग्राम तेल प्राप्त किया जा सकता है।

  • बाजार में सूखी जड़ों की बिक्री करीब 100 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से की जा सकती है।

  • खस के तेल की बिक्री से करीब 10000 से 12000 रुपए प्रति लीटर प्राप्त किए जा सकते हैं।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र खस की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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