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खजूर की खेती से लाएं मुनाफे की मिठास
खजूर की खेती से लाएं मुनाफे की मिठास
खजूर एक ताड़ प्रजाति का वृक्ष है। खजूर के वृक्षों की लम्बाई 15 से 25 मीटर तक होती है। हमारे देश में इसकी खेती गुजरात, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, आदि राज्यों में की जाती है। कई बार कई तने एक ही मूल यानी जड़ से जुड़े रहते हैं। इसमें कैल्शियम, कॉपर, अमीनो एसिड, फॉस्फोरस, पोटाशियम, आयरन, आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। हृदय रोगियों के लिए इसका सेवन बहुत लाभदायक है। खजूर के ताजे फलों के अलावा इसे सूखा कर छुहारे (सूखे मेवे) के तौर पर भी उपयोग किया जाता है। अधिक कीमत में बिक्री होने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है। सरकारी नर्सरी से खजूर के पौधे लेने पर 70 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। आइए खजूर की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
खजूर के पौधों को लगाने का उपयुक्त समय
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खजूर के पौधों की रोपाई के लिए अगस्त का महीना सर्वोत्तम है।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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खजूर की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी सर्वोत्तम है।
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कठोर एवं पथरीली भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।
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मिट्टी का पी.एच. स्तर 7-8 के बीच होना चाहिए।
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इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त है।
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वर्षा एवं अधिक ठंड पौधों के विकास के लिए हानिकारक है।
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पौधों के उचित विकास के लिए करीब 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए।
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पौधों में फल लगने के समय तापमान करीब 40 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।
खेत तैयार करने की विधि
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सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से खेत में गहरी जुताई करें।
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इसके बाद कल्टीवेटर के द्वारा 2 बार तिरछी जुताई करें।
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जुताई के बाद मिट्टी को समतल भुरभुरी बनाने के लिए पाटा अवश्य लगाएं।
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इसके बाद खेत में 1 मीटर चौड़े और 1 मीटर गहरे गड्ढे तैयार करें।
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सभी गड्ढों में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं और हल्की सिंचाई करें।
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पौधों से पौधों के बीच करीब 8 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
उर्वरक प्रबंधन
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पौधों को लगाने के बाद शुरुआत के 5 वर्षों तक प्रति एकड़ भूमि में 25 से 30 किलोग्राम गोबर की खाद का प्रयोग करें।
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5 वर्ष के अधिक के पौधों में 40 से 50 किलोग्राम गोबर की खाद का प्रयोग करें।
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इसके अलावा वर्ष में 2 बार प्रति एकड़ भूमि में 4 किलोग्राम यूरिया का भी प्रयोग करें।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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गर्मी के मौसम में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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पौधों में फल आने के समय नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
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खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें।
फलों की तुड़ाई
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खजूर के फलों की तुड़ाई 3 अवस्थाओं में की जाती है।
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पहली अवस्था में ताजे पके फलों की तुड़ाई की जाती है।
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दूसरी अवस्था में पके फलों के नर्म होने पर तुड़ाई की जाती है।
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तीसरी अवस्था में फलों के सूखने के बाद यानी वर्षा के मौसम की शुरुआत से पहले फलों की तुड़ाई करें।
फलों की पैदावार
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विभिन्न किस्मों के अनुसार प्रति एकड़ भूमि में 70 से 156 पौधे लगाए जा सकते हैं।
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पौधे लगाने के 5 से 6 वर्षों बाद पौधों में फल लगने शुरू हो जाते हैं।
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10 वर्ष की आयु होने पर प्रति वृक्ष 50 से 70 किलोग्राम खजूर की पैदावार होती है।
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15 वर्ष की आयु होने पर प्रति वृक्ष 75 से 200 किलोग्राम खजूर की पैदावार होती है।
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