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विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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खीरा : स्वस्थ पौधों के लिए उर्वरक प्रबंधन

खीरा : स्वस्थ पौधों के लिए उर्वरक प्रबंधन

खीरा एक बेल वाला पौधा है। इसके फलों के साथ ही इसकी बीज की भी मांग बहुत होती है। इसके बीज को सूखे मेवे की तरह खाया जाता है एवं इससे मिठाइयां भी तैयार की जाती हैं। केवल इतना ही नहीं इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है। खीरा में करीब 96 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है। इसलिए गर्मी के मौसम में इसकी मांग बढ़ने लगती है। बात करें इसकी खेती की तो उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए उर्वरक प्रबंधन की जानकारी होना आवश्यक है। आइए खीरा की फसल में उर्वरक प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

खीरा की फसल में उर्वरक प्रबंधन

  • खेत की जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।

  • गोबर की खाद की जगह कंपोस्ट खाद या रूड़ी की खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।

  • खीरे की फसल में प्रति एकड़ खेत के अनुसार 90 किलोग्राम यूरिया, 125 सिंगल फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है।

  • खेत तैयार करते समय यूरिया को 3 भागों में बांट कर 1 भाग यानी 30 किलोग्राम यूरिया के साथ सिंगल फास्फेट एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा मिलाएं।

  • पौधों में 4 से 5 पत्तियां आने पर 30 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें।

  • बचे हुए 30 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग बुवाई से 30 से 35 दिनों बाद करें।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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