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खीरा
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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खीरा की फसल में मोजेक वायरस रोग की पहचान एवं नियंत्रण के तरीके

खीरा की फसल में मोजेक वायरस रोग की पहचान एवं नियंत्रण के तरीके

मोजेक वायरस रोग से खीरा के अलावा कद्दू, लौकी, करेला, तुरई, सेम, तरबूज, आदि कई फसलें प्रभावित होती हैं। यह बहुत तेजी से फैलने वाले रोगों में से एक है। इस रोग के कारण 4 से 5 दिनों में पूरे खेत की फसल प्रभावित हो सकती है। जिसका सीधा असर पैदावार पर होता है। अगर आप कर रहे हैं खीरे की खेती तो फसल को मोजेक वायरस रोग से बचाने के लिए इस रोग के लक्षण एवं नियंत्रण करने के तरीके यहां से देखें।

मोजेक वायरस रोग का लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों में छोटे-छोटे पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

  • यह धब्बे सामान्य तौर पर शिराओं से शुरू होते हैं।

  • कुछ समय बाद पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।

  • पौधों के विकास में बाधा आती है।

  • पौधों में निकलने वाले पुष्प गुच्छों में बदलने लगते हैं।

  • यदि पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं।

मोजेक वायरस रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।

  • मोजेक वायरस रोग से प्रतिरोधक किस्मों का चयन करें।

  • रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।

  • प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई.सी. मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।

  • इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।

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