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खीरा की फसल में कुकुंबर मोजैक रोग पर नियंत्रण के सटीक उपाय
Author : Dr. Pramod Murari

खीरा की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों में कुकुंबर मोजैक रोग भी शामिल है। इस एक तेजी से फैलने वाला वायरस रोग है। सही समय पर इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो केवल 4 से 5 दिनों में पूरे खेत की फसल प्रभावित हो सकती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम कुकुंबर मोजैक रोग से होने वाले नुकसान एवं इस रोग पर नियंत्रण की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
कुकुंबर मोजैक रोग के लक्षण
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इस रोग के होने पर पत्तियों में छोटे-छोटे पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
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पौधे ऊपर से यानी शिराओं से सिकुड़ने लगते हैं।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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यदि पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे नजर आते हैं।
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एफिड इस रोग को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम करते हैं।
कुकुंबर मोजैक रोग पर नियंत्रण के तरीके
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रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।
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रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर डाईमेथोएट 30 ई.सी. मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
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खीरा की अच्छी फलन के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठाते हुए खीरा की फसल को कुकुंबर मोजैक रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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28 July 2021
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