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कहीं इन खरपतवारों के कारण गेहूं की पैदावार कम न हो जाए
कहीं इन खरपतवारों के कारण गेहूं की पैदावार कम न हो जाए
गेहूं की खेती करने वाले किसानों के सामने खरपतवार की समस्या आती ही है। समय रहते यदि विभिन्न खरपतवारों पर प्रबंधन नहीं किया गया तो इससे गेहूं की उपज में 35 से 40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। यदि आप भी हैं विभिन्न खरपतवारों से परेशान तो यह आर्टिकल आपके लिए अवश्य ही महत्वपूर्ण साबित होगी। यहां से आप गेहूं की फसल में खरपतवार प्रबंधन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
गेहूं में होने वाले खरपतवार
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गेहूं की फसल में मुख्यतः बथुआ, हिरनखुरी, मोथा घास, जंगली जई, अकरी, कृष्णनील, वनबटरी, आदि खरपतवारों की समस्या होती है।
नियंत्रण के तरीके
निराई-गुड़ाई :
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निराई-गुड़ाई के माध्यम से खरपतवारों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। 20-25 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करें।
रासायनिक नियंत्रण :
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खरपतवार को निकलने से रोकने के लिए बीज की बुवाई से पहले खेत में पेंदीमैथलीन मिलाएं। प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंदीमैथलीन मिलाना चाहिए। यदि बुवाई से पहले पेंदीमैथलीन नहीं मिलाया गया है तो बुवाई के 3 दिनों के अंदर खेत में इसका छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर स्टांप मिलाकर छिड़काव करें।
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बुवाई के करीब 1 महीने बाद यदि खेत में खरपतवार नजर आ रहे हैं तो खेत में सल्फोसल्फ्यूरॉन का छिड़काव करें।
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गेहूं एवं सरसों की मिश्रित खेती की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
इस पोस्ट में बताई गई दवाएं गेहूं की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण करने में कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। गेहूं की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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