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सरसों
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं सरसों की गलत तरीके से बुवाई?

कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं सरसों की गलत तरीके से बुवाई?

सरसों भारत में एक प्रमुख तिलहन फसल होने के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में सरसों को एक शरदकालीन फसल के रूप में जाना जाता है, जिसकी बुवाई अक्टूबर माह के अंत तक लगभग सभी सरसों उत्पादक क्षेत्रों में पूर्ण रूप से संपन्न हो जाती है। सरसों के बेहतर उत्पादन के लिए सामान्यतः 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सबसे उपयुक्त होता है। इसके साथ ही बालुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती कर आप इस बार की फसल से एक बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

अन्य फसलों की भांति सरसों की बुवाई से पहले भी खेत की तैयारी आवश्यक रूप से की जाती है। चूंकि सरसों के बीज आकार में बहुत छोटे होते हैं इसलिए मिट्टी में इनके बेहतर जमाव के लिए मिट्टी का कोमल और भुरभुरा होना बेहद जरूरी होता है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए इसके पश्चात हैरो और कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए प्रति एकड़ खेत में 1.5 से 2.5 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है साथ ही बुवाई के तुरंत बाद की गई खेत में पहली सिंचाई बीजों के बेहतर अंकुरण में सहायक होती है इसलिए बुवाई के बाद और मौसम के अनुरूप खेत में सिंचाई अवश्य कर लें।

सरसों से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए आप देहात की “DMS गोल्ड” किस्म की खेती भी कर सकते हैं। यह एक बेहतरीन किस्म है, जो 125 से 130 दिनों में पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसके अलावा  इस किस्म में अन्य किस्मों की अपेक्षा रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और 41.5 प्रतिशत तेल की मात्रा से पूर्ण होने पर यह आपको एक बेहतर बाजारी दाम दिलवाने में भी मदद करती है।

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सरसों की उन्नत किस्म “DMS गोल्ड” की खरीदारी के लिए आज ही अपने नजदीकी देहात केंद्र जाकर खरीदारी करें और अपने फसलों को स्वस्थ बनाकर बेहतर उपज प्राप्त करें। किसान बंधू देहात की हाइपरलोकल सुविधा का लाभ उठाकर भी घर बैठे ही उत्पाद की खरीदारी का फायदा उठा सकते हैं। अधिक जानकारी एवं कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेने के लिए आज ही कॉल करें 1800 1036 110 पर


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