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5 Oct
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खेती में मल्चिंग तकनीक से होने वाले लाभ कर देंगे आपको दंग

खेती में मल्चिंग तकनीक से होने वाले लाभ कर देंगे आपको दंग

खरपतवार फसलों में नुकसान का एक बहुत बड़ा कारण है। इस पर नियंत्रण के लिए किसान निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नाशक का प्रयोग करते हैं। जिससे कई बार कृषि में होने वाली लागत बढ़ जाती है। कभी-कभी खरपतवार नाशक फसलों पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए मल्चिंग एक बेहतर विकल्प बन कर सामने आया है। मल्चिंग के द्वारा अंतर्गत मिट्टी को गीली घास, छाल, लकड़ी के चिप्स, पत्ते या प्लास्टिक शीट से ढका जाता है। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है, फसल तेज धूप एवं पाले से सुरक्षित रहती है और खरपतवारों की समस्या से भी राहत मिलती है।

मल्चिंग के फायदे

  • मल्चिंग तकनीक अधिक समय तक मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए कारगर है।
  • मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है।
  • मल्चिंग पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
  • मल्चिंग तकनीक का प्रयोग कर खेत में मिट्टी का कटाव नहीं होता है।
  • खेत में खरपतवार की अधिकता में तेजी से कमी आती है।
  • पौधे लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं।
  • मल्चिंग भूमि को कठोर होने से बचाती है।
  • पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है।

मल्चिंग के प्रकार

मल्चिंग मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है –

कार्बनिक मल्च

कार्बनिक मल्च मिट्टी में नमी बनाए रखने व खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी में धीरे-धीरे अपघटित होकर मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। कार्बनिक मल्च धीरे-धीरे अपघटित होते हुए मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है।

कुछ प्रमुख कार्बनिक मल्च निम्न हैं –

  • घास और पुआल
  • कटी हुई पत्तियां
  • लकड़ी की छीलन या छाल के चिप्स
  • अखबार इत्यादि।

अकार्बनिक मल्च

अकार्बनिक मल्च भी मिट्टी में नमी बनाए रखने और खरपतवारों को रोकने के लिए उपयुक्त है, लेकिन वे समय के साथ मिट्टी में कोई पोषक तत्व प्रदान नहीं करते हैं। अकार्बनिक मल्च अपघटित नहीं होता, लेकिन जैसे ही प्लास्टिक सड़ता है, यह मिट्टी और पर्यावरण के लिए हानिकारक जरूर हो सकता है। कुछ अकार्बनिक मल्च निम्न हैं –

  • प्लास्टिक शीट
  • लैंडस्केप फैब्रिक
  • पत्थर/बजरी

क्या आपने कभी मल्चिंग विधि का प्रयोग किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

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