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खेती में मल्चिंग तकनीक से होने वाले लाभ कर देंगे आपको दंग
Author : Dr. Pramod Murari

खरपतवार फसलों में नुकसान का एक बहुत बड़ा कारण है। खरपतवार से फसल को बचाने के लिए किसान अक्सर निराई-गुड़ाई करते हैं लेकिन इस पर बहुत खर्च भी होता है और सिंचाई की भी आवश्यकता बढ़ जाती है। इसके अलावा कई बार खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए किसान कई तरह के हानिकारक खरपतवार नाशक को भी आजमाते हैं। लेकिन कभी-कभी फसलों पर भी इनका प्रतिकूल असर हो जाना किसानों की समस्याओं को कम करने की बजाय बढ़ाने लगता है। खेती बाड़ी में आ रही खरपतवार जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए आधुनिक किसानों का रुझान अब मल्चिंग तकनीक की तरफ बढ़ने लगा है और किसान इसका प्रयोग कर जमकर लाभ भी ले रहे हैं। मल्चिंग एक प्रक्रिया है, अंतर्गत मिट्टी को गीली घास, जैसे छाल, लकड़ी के चिप्स, पत्ते और अन्य कार्बनिक पदार्थों से ढका जाता है। यह तकनीक मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है और खरपतवार नियंत्रण के साथ पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में बेहद कारगर है।
मल्चिंग के फायदे:
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मल्चिंग तकनीक अधिक समय तक मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए कारगर है।
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मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है।
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मल्चिंग पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
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मल्चिंग तकनीक का प्रयोग कर खेत में मिट्टी का कटाव नहीं होता है।
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खेत में खरपतवार की अधिकता में तेजी से कमी आती है।
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पौधे लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं।
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मल्चिंग भूमि को कठोर होने से बचाती है।
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पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है।
मल्चिंग के प्रकार
मल्चिंग मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है –
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कार्बनिक मल्च
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अकार्बनिक मल्च
कार्बनिक मल्च
कार्बनिक मल्च मिट्टी में नमी बनाए रखने व खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ मिट्टी में धीरे-धीरे अपघटित होकर मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। कार्बनिक मल्च धीरे-धीरे अपघटित होते हुए मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है।
कुछ प्रमुख कार्बनिक मल्च निम्न हैं –
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घास और पुआल
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कटी हुई पत्तियां
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लकड़ी की छीलन या छाल के चिप्स
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अखबार इत्यादि।
अकार्बनिक मल्च
अकार्बनिक मल्च भी मिट्टी में नमी बनाए रखने और खरपतवारों को रोकने के लिए उपयुक्त है, लेकिन वे समय के साथ मिट्टी में कोई पोषक तत्व प्रदान नहीं करते हैं। अकार्बनिक मल्च अपघटित नहीं होता, लेकिन जैसे ही प्लास्टिक सड़ता है, यह मिट्टी और पर्यावरण के लिए हानिकारक जरूर हो सकता है। कुछ अकार्बनिक मल्च निम्न हैं –
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प्लास्टिक शीट
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लैंडस्केप फैब्रिक
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पत्थर/बजरी
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खेती बाड़ी में आधुनिकीकरण से किसानों के लिए कई रास्ते खुले हैं। इन्हीं में से एक तकनीक मल्चिंग का प्रयोग न केवल खेती को आसान बनाती है बल्कि बहुत कम लागत में फसल से खरपतवार नियंत्रण जैसे फायदों से भी हमें परिचित कराती है। मल्चिंग से जुड़ी अधिक जानकारी आप देहात टोल-फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहें देहात से।
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26 October 2022
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