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केले का सिगाटोका रोग एवं नियंत्रण के उपाय
केले का सिगाटोका रोग एवं नियंत्रण के उपाय
केले की फसल को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले रोगों में से एक है सिगाटोका रोग। इस रोग को लीफ स्पॉट या लीफ स्ट्रीक भी कहते हैं। केले की फसल को इस हानिकारक रोग से बचाने के लिए इस रोग का लक्षण एवं इससे बचने के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है।
सिगाटोका रोग के लक्षण
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इस रोग के शुरुआत में केले के पत्तों पर पीले रंग के अंडाकार धब्बे बन जाते हैं।
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धीरे - धीरे इन धब्बों की संख्या एवं आकार में वृद्धि होने लगती है।
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धब्बों का रंग पीला से गहरा भूरा में बदल जाता है।
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रोग का प्रकोप अधिक होने पर पत्ते सूखने लगते हैं।
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इस रोग से ग्रस्त पौधों के फल भी आकार में छोटे रह जाते हैं।
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समय से पहले फल पक जाते हैं और फलों की गुणवत्ता कम हो जाती है।
रोग से बचाव के उपाय
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इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों से केले की खेती के लिए कंद एकत्र न करें।
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खेत से खरपतवार को नष्ट कर दें।
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केले की खेत में जल जमाव न होने दें।
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इस रोग से निजात पाने के लिए 20 दिनों के अंतराल पर दवाओं का 4 बार छिड़काव करना चाहिए।
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सबसे पहला छिड़काव प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 8 मिलीलीटर बनोल आयल मिला कर करें।
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दूसरे छिड़काव के लिए प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल और 8 मिलीलीटर बनोल आयल का प्रयोग करें।
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तीसरी बार आप प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम कॉम्पेनियन और 8 मिलीलीटर बनोल आयल मिला कर छिड़काव करें।
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चौथी बार छिड़काव के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम ट्राइडमार्फ और 8 मिलीलीटर बनोल आयल का प्रयोग करें।
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दवा के छिड़काव से पहले रोग से ग्रस्त पत्तियों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें।
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