पोस्ट विवरण
केले की फसल का कैसे करें ठंड से बचाव
केले की फसल का कैसे करें ठंड से बचाव
कड़ाके की ठंड से केले के पौधों पर विपरीत असर होता है। अधिक ठंड में केले की फसल को 80 से 90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। ऐसे में केले की खेती करने वाले किसानों के सामने पौधों को अधिक ठंड से बचाना एक कठिन कार्य हो गया है। अगर आप केले की खेती कर रहे हैं तो यहां से आप पौधों को अधिक ठंड से होने वाले नुकसान एवं बचाव के उपाय देख सकते हैं।
होने वाले नुकसान
- अधिक ठंड में केले के पौधों का तना एवं पत्ते फटने लगते हैं।
- पत्ते पीले होने लगते हैं।
- फलों का आकार छोटा रह जाता है।
- पौधों के विकास में बाधा आती है।
- केले के तने गलने लगते हैं।
- पत्तों के सड़ने एवं फफूंद जनित रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
बचाव के उपाय
- खेत में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई करें। सिंचाई करने से मिट्टी में गर्मी बनी रहती है और भूमि का तापमान कम नहीं होता।
- ठंड में सिंचाई करने से तापमान को 0.5 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ाया जा सकता है। शाम के समय सिंचाई करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।
- केले के तने के चारो तरफ जैविक गीली घास से मल्चिंग करें।
- शाम के समय खेत में हवा की दिशा में घास-फूस, सूखे पत्ते एवं लकड़ियां आदि जलाकर धुआं करें। खेत में धुआं करने से तापमान को 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ाया जा सकता है।
- यदि संभव हो तो रात के समय पौधों को कपड़े से ढकें।
- पीली पत्तियों या क्षतिग्रस्त हिस्सों की छंटाई करें।
- प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम 'देहात बेंटोनाइट सल्फर' का प्रयोग करें।
- 600-800 ग्राम घुलनशील गंधक को 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर सल्फ्यूरिक एसिड मिलाकर छिड़काव करें।
ठंड के मौसम में केले की फसल को पाले से बचाने के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं और इससे आपको कितना लाभ होता है? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ