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कद्दू की फसल में डाउनी मिल्ड्यू की समस्या और रोकथाम
कद्दू की फसल में डाउनी मिल्ड्यू की समस्या और रोकथाम
डाउनी मिल्ड्यू क्या है?
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डाउनी मिल्ड्यू रोग को हिंदी भाषा में मृदुरोमिल आसिता के नाम से जाना जाता है।
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डाउनी मिल्ड्यू एक फफूंद जनित रोग है, जो कद्दू वर्गीय फसलों में एक विनाशकारी रोग के रूप में जाना जाता है।
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फसल में यह रोग स्यूडो पेरोनोस्पोरा क्यूबेंसिस कवक के कारण होता है।
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रोग अधिक नमी, आर्द्रता और बारिश जैसे मौसम में अधिक तेजी से फैलता है।
डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण
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फसल में यह रोग पत्तियों के किनारों से अपना प्रभाव डालना शुरू करता है।
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रोग के शुरुआती लक्षण पत्तियों पर पीले, भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
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धब्बे अनियमित होते हैं और धीरे-धीरे पूरी पत्तियों को घेर लेते हैं।
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रोग का अधिक प्रभाव होने पर पत्तियां पूरी तरह से सूख कर गिरने लगती है।
डाउनी मिल्ड्यू से नुकसान
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पौधों का विकास नहीं हो पाता है।
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नए फूल और फल बोने रह जाते हैं।
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पत्तियों की निचली सतह पर फूले हुए कवक के घाव का होना।
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पैदावार में कमी होती है।
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किसानों की आय घटती है।
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फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है।
नियंत्रण के उपाय
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रोग के प्रति सहनशील किस्मों का चयन करें।
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मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में हवा और धूप लगने देने के लिए पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें।
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खेत में आवश्यक मात्रा में सूर्य का प्रकाश पड़ना चाहिए।
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संक्रमित पौधों को फैलने से रोकें।
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खेतों में अवशेषों को न जमा होने दें।
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पौधों में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करें।
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फसल में अधिक प्रकोप होने पर रासायनिक नियंत्रण के लिए जैविक कवकनाशी डाउनी रेज का प्रयोग 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से करें।
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फसल में डाइथेन एम 45 या रिडोमिल की 2.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों में छिड़काव करें।
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डाइथेन M 45 या डाइथेन Z 78 की 400 ग्राम मात्रा का प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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