कृषि क्षेत्र में ग्राफ्टिंग कोई नई तकनीक नहीं है। आम भाषा में इसे कलम बांधना कहते हैं। इस विधि का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है। ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग कर के हम कम क्षेत्र में अधिक पौधों को लगा सकते हैं। यदि आप अभी तक इस तकनीक से वाकिफ नहीं हैं तो यहां से आप ग्राफ्टिंग विधि क्या है, इसके फायदे एवं इसकी प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ग्राफ्टिंग विधि क्या है?
इस विधि में एक पौधे में एक या एक से अधिक पौधों की कटिंग (कलम) लगा कर विभिन्न फसलें प्राप्त की जा सकती हैं। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का प्रयोग कर के ऐसा पौधा तैयार किया है जिसमे आलू के साथ टमाटर के पौधों को लगाया जा सकता है। इस पौधे का नाम पोमैटो रखा गया है। वहीं बैंगन एवं के साथ टमाटर की ग्राफ्टिंग कर के तैयार किए गए पौधे को टोमटाटो नाम दिया गया है।
क्या है ग्राफ्टिंग के फायदे?
इस विधि के प्रयोग से कम जगह में अधिक फसलें प्राप्त की जा सकता है।
कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर के ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
खेत की तैयारी, खाद एवं उर्वरक के साथ सिंचाई में आने वाले खर्च में कमी होती है।
ग्राफ्टिंग विधि से कैसे करें आलू एवं टमाटर की खेती?
पोमैटो लगाने के लिए आलू का पौधा जब जमीन की सतह से करीब 6 से 8 इंच ऊपर आए तब उस पर टमाटर के पौधों की कटिंग लगाएं। ग्राफ्टिंग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि दोनों पौधों के तने की मोटाई एक समान हो। ग्राफ्टिंग के करीब 20 दिनों बाद दोनों पौधे आपस में अच्छी तरह जुड़ जाते हैं। कुछ समय बाद पौधों में टमाटर निकलने शुरू हो जाते हैं। टमाटर का पौधा सूखने के बाद आलू की खुदाई की जा सकती है। पोमैटो के एक पौधे से लगभग 1.5 किलोग्राम टमाटर एवं 600 ग्राम आलू की उपज होती है। इस तरह बैंगन के साथ टमाटर ग्राफ्टिंग कर के आप टोमटाटो का पौधा प्राप्त कर सकते हैं।
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