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कैसे करें बेल की आधुनिक खेती, जानें खेती का उचित समय
कैसे करें बेल की आधुनिक खेती, जानें खेती का उचित समय
भारत में बेल की खेती मुख्यतः उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है। बेल भारत के प्राचीन फलों में से एक है, जो विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, खनिज तत्व एवं कार्बोहाइड्रेट के साथ औषधीय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में इस पौधे को बहुत ही पवित्र माना जाता है, तथा वैदिक संस्कृत साहित्य में इस वृक्ष को दिव्य वृक्ष का दर्जा भी दिया गया है। ताजे फलों को खाने के सेवन के अलावा जूस, मुरब्बा, शरबत आदि के तौर पर भी इसका उपयोग किया जाता है, जो मूत्र रोग, ल्यूकोरिया, दस्त, डायबिटीज, बदहजमी, शरीर में कफ जैसे लक्षणों के लिए अधिक लाभकारी माना जाता है। बेल के फल, जड़, पत्तों के साथ छाल और शाखाओं का भी विभिन्न रूपों में सेवन और प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण बेल की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित होती है। अगर आप भी बेल की खेती कर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो बेल की खेती के लिए उचित समय, तरीके और खेती से जुड़ी अधिक जानकारी यहां से देखें।
बेल की खेती के लिए उचित समय
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पौधों की रोपाई के लिए मई से जून का समय उपयुक्त होता है।
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सिंचित जगहों पर पौधों की रोपाई मार्च के महीने में करनी चाहिए।
बेल की खेती के लिए उचित मिट्टी
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बेल की खेती कंकरीली, बंजर, कठोर, रेतीली, आदि किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
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अधिक पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती करनी चाहिए।
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भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए।
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भूमि का पी.एच. मान 5 से 8 के मध्य होना चाहिए।
बेल की खेती के लिए उचित जलवायु
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बेल की खेती शुष्क और अर्ध शुष्क दोनों ही जलवायु में की जा सकती है।
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सामान्य गर्मी और सर्दी में पौधों का विकास बेहतर रूप से होता है।
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अधिक सर्दी और पाले वाले क्षेत्रों में बेल की खेती करने से बचना चाहिए।
बेल के पौधों में सिंचाई
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पौधों की रोपाई के तुरंत बाद ही पहली सिंचाई करें।
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गर्मी के मौसम में 8 से 10 दिनों के भीतर सिंचाई करें
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ठंड के मौसम में 15 से 29 दिनों के भीतर सिंचाई करें।
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बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करें।
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पौधा पूर्ण रूप से विकसित होने पर साल में केवल 4 से 5 बार ही सिंचाई करें।
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