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विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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कैला लिली की खेती, कम लागत में अधिक मुनाफा

कैला लिली की खेती, कम लागत में अधिक मुनाफा

कैला लिली एक विदेशी फूल है। यह देखने में जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही खुशबूदार भी हैं। सामान्य तौर पर इस फूल को गमलों एवं घर के बगीचे में बनी क्यारियों में लगाया जाता है। हालांकि हमारे देश में आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश एवं महाराष्ट्र में व्यावसायिक स्तर पर कैला लिली की खेती प्रमुखते से की जा रही है। कैला लिली की बढ़ती मांग को देखते हुए अन्य राज्यों के किसानों का रुझान भी इसकी बागवानी की तरफ बढ़ रहा है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम कैला लिली की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

कैला लिली की खेती के विभिन्न चरण

  • कैला लिली की खेती 3 चरणों में की जाती है।

  • पहले चरण में नर्सरी तैयार की जाती है।

  • दूसरे चरण में नर्सरी में तैयार पौधों की रोपाई की जाती है।

  • तीसरे चरण में कंद प्राप्त किया जाता है।

नर्सरी तैयार करने की विधि

  • कैला लिली के बीज को अंकुरित होने में अधिक समय लगता है। इसके साथ ही बीज का अंकुरण दर भी कम होता है।

  • बीज को टिशू कल्चर विधि से उगाना अच्छा होता है। टिशू कल्चर विधि से कैला लिली को उगाने से सभी फूल एक सामान होते हैं और फूलों की ताजगी भी लम्बे समय तक बनी रहती है।

कंद प्राप्त करने की विधि

  • पॉलीहाउस में प्रो ट्रे नर्सरी विधि से नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले कोकोपिट, भूसा, वर्मी कम्पोस्ट एवं कोयले की राख को बराबर मात्रा में ले कर मिश्रण तैयार करें।

  • इस मिश्रम को ट्रे में भरें और बीज की बुवाई करें।

  • करीब 9 महीने बाद आप उच्च गुणवत्ता के कंद प्राप्त कर सकते हैं।

  • इसके बाद पॉलीहाउस या गमलों में कंदों की रोपाई करें।

  • आप चाहें तो इन कंदों को नर्सरी एवं अन्य किसनों को बेच कर अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

कंदों की रोपाई की विधि

  • नर्सरी में तैयार किए गए कंदों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

  • रोपाई के करीब 12 दिनों बाद छोटे पौधे नजर आने लगते हैं।

  • इस समय पॉलीहाउस का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड रखें।

  • कंदों की रोपाई के करीब 45 दिनों बाद पौधों में कलियां निकलने लगती हैं।

हमें उम्मीद है या जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशु पालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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