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कृषि विशेषयज्ञ
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काली पड़ रही है धान की बालियां, फसल में कंडुआ रोग के बताए जा रहे हैं लक्षण

काली पड़ रही है धान की बालियां, फसल में कंडुआ रोग के बताए जा रहे हैं लक्षण

उमस भरा मौसम और पौधों में फूल आने की अवस्था के दौरान हो रही बारिश धान की फसल में कंडुआ रोग के संक्रमण में एक सहयोगी भूमिका निभाते हैं। यह रोग धान के दाने को पूरी तरह से काले रंग के बीजाणुओं की एक परत से ढक देता है। जिसके कारण बालियां खोखली होने लगती हैं और फसल की पैदावार और गुणवत्ता पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है। इतना ही नहीं रोग का प्रकोप बढ़ जाने पर रोग पर नियंत्रण कर पाना भी एक कठिन कार्य है, जिससे बचने के लिए शुरूआती अवस्था में ही रोग की पहचान कर नियंत्रण के तरीके अपनाए जाने चाहिए।

कंडुआ रोग की पहचान

  • रोग सितम्बर से अक्टूबर के महीने में अपनी चरम सीमा पर होता है और बालियां बनते ही फसल को संक्रमित करना शुरू कर देता है।

  • बालियों पर शुरूआती लक्षण हल्के पीले-नारंगी रंग के धब्बों से शुरू होते हैं, जो अंत में पूरी तरह से परिवर्तित होकर काले रंग में बदल जाते हैं।

रोग का प्रबंधन

  • खेत की नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें।

  • समय से पहले फसल बुवाई करने से भी फसल में कंडुआ रोग के प्रकोप से बचा जा सकता है।

  • बिजाई के लिए रोग मुक्त बीजों का उपयोग और साथ ही मृदा शोधन अनिवार्य है I

  • बुआई से पहले बीज का उपचार के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम की मात्रा का उपयोग प्रति किलोग्राम बीज के अनुसार करें।

  • कल्ले आने के बाद एवं फूल आने से पहले कॉपर जनित फफूंदनाशक के छिड़काव से भी रोग संक्रमण में कमी देखने को मिलती है।

  • फसल में अधिक संक्रमण की स्थिती में पिकोक्सिस्त्रोबिन 7.05% के साथ प्रोपिकोनाज़ोल 11.7 % SC की 400 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ के दर से करें I

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समय पर इस रोग के रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लेकर समय पर अपने फसल का करें बचाव I साथ ही अपने नजदीकी देहात केंद्र से जुड़कर एवं हाईपरलोकल की सुविधा उपलब्ध कर घर बैठे ही उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा पाएंI अधिक जानकारी के लिए कॉल करें टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर।

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