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ज्वार की उन्नत खेती
ज्वार की उन्नत खेती
चारे वाली फसलों में ज्वार का मुख्य स्थान है। खरीफ मौसम में ज्वार की खेती चारे के साथ दानों के लिए भी की जाती है। भारत में इसकी खेती लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में की जाती है। अगर आप भी ज्वार की खेती करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें और यहां दी गई जानकारियों पर अमल कर के अच्छी पैदावार प्राप्त करें।
जलवायु एवं मिट्टी
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अधिक तापमान में पौधों का विकास अच्छा होता है।
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इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
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यदि खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध किया जाए तो इसकी खेती भारी मिट्टी में भी की जा सकती है।
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ज्वार की खेती के लिए 6.5 से 7 पी.एच स्तर की मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
खाद एवं उर्वरक
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बुवाई से 15-20 पहले प्रति एकड़ जमीन में 4 से 6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें।
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प्रति एकड़ जमीन में 16 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम नत्रजन का प्रयोग करें।
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बुवाई के 30 दिन बाद खेत में 20 किलोग्राम नत्रजन का प्रयोग करें।
खेत की तैयारी एवं बीज उपचार
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करीब 2 से 3 बार जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरा करें और खेत में पाटा लगा कर उसे समतल बना लें।
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मिट्टी में नमी की कमी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखें।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बनडाजिम या बाविस्टीन से उपचारित करें।
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बीज की बुवाई 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में करें इससे अधिक गहराई होने पर बीज के अंकुरण में कठिनाई होती है।
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बीज को 45 सेंटीमीटर की दूरी पर कतार मे बोये, कतार मे बुवाई के लिए देशी हल के पीछे कूडो मे या सीड ड्रिल का प्रयोग कर सकते है ।
खरपतवार पर नियंत्रण
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खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 400 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर एट्राजिन मिला कर बुवाई के तुरंत बाद छिड़काव करें।
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बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद खेत में निराई - गुड़ाई कर के भी खरपतवार पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
सिंचाई
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बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि वर्षा नहीं हो रही है तो हल्की सिंचाई करें।
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गर्मी के मौसम में 7 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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विभिन्न किस्मों को तैयार होने का समय अलग होता है।
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