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जूट
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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जूट की अधिक पैदावार के लिए इस तरह तैयार करें खेत

जूट की अधिक पैदावार के लिए इस तरह तैयार करें खेत

जूट एक रेशेदार पौधा है। इसका इस्तेमाल दरी, बोरी, तिरपाल, कपड़ा, कागज, आदि बनाने में किया जाता है। जूट की खेती नकदी खेती कहलाती है, क्योंकि किसानों को इसके उत्पादन से मुनाफा प्राप्त होता है। भारत में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं असम में इसकी खेती की जाती है। किसी भी फसल से मुनाफा लेने के लिए फसल की सही समय पर बुवाई एवं खेत की तैयारी आवश्यक है।

अगर किसानों को जूट की बुवाई के सही समय की जानकारी मिल जाए तो वो इसकी अधिक पैदावार का लाभ उठा सकते हैं। आप भी इस फसल के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए ही है। हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको जूट की बुआई का सही समय और खेत तैयार करने की विधि के बारे में बता रहे हैं। विस्तार से जानने के लिए पढ़िए पूरा आर्टिकल।

बुआई का समय

  • जूट के पौधों के लिए गर्म तथा नमी युक्त जलवायु अच्छी रहती है।

  • जूट की खेती के लिए 25 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अच्छा रहता है।

  • नीची भूमि में इसकी बुआई फरवरी में की जाती है।

  • वहीं ऊंची भूमि में इसकी फसल की बुआई मार्च से जुलाई तक कर सकते हैं।

खेत की तैयारी

  • फसल उगाने से पहले मिट्टी पलटने वाली हल से खेत में गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद 2-3 बार खेत की कल्टीवेटर से जुताई करें।

  • खेत में नमी बनाए रखने के लिए पलेवा करें।

  • मिट्टी के सूखने के बाद रोटावेटर से खेत की गहरी जुताई करें।

  • भुरभरी मिट्टी को पाटा लगा कर समतल करें।

  • जूट की फसल के लिए जलोढ़ मिट्टी बढ़िया रहती है।

  • चिकनी भूमि से लेकर बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है।

  • इसकी फसल के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और जूट की खेती को समय पर तैयार कर फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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