यदि आप खेती करते हैं तो अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए फसलों की नियमित रूप से देखभाल करना जरूरी है। इसके साथ ही विभिन्न फसलों, सब्जियों एवं फलों में कई तरह के कृषि कार्य करने की भी आवश्यकता होती है। यहां से आप जनवरी महीने के शुरुआत में किए जाने वाले कृषि कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आलू : पौधों के ऊपरी भाग की कटाई करें। आलू के कंदों को 20 से 25 दिनों तक जमीन के अंदर ही रहने दें। इससे आलू के छिलके कड़े हो जाएंगे और कंद खराब नहीं होंगे।
सरसों : इस महीने में सरसों की फसल में फलियां बननी प्रारम्भ हो जाती हैं। ऐसे समय में सिंचाई करना बेहद जरूरी है। सिंचाई करने से दाने मोटे होंगे साथ ही दानों की संख्या में भी वृद्धि होगी।
चना : पौधों में फूल निकलने से पहले सिंचाई करें। सिंचाई के करीब 5 से 7 दिनों के बाद खेत में हल्की निराई-गुड़ाई करें।
चारे वाली फसलें : चारे वाली फसलें जैसे बरसीम, रिजका, जई, आदि की कटाई करें। प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करें। जई की पहली कटाई के बाद प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें।
मटर : दिसम्बर महीने में रोपाई की गई फसलों में निराई-गुड़ाई करें। इसके साथ ही पौधों को सहारा देने के लिए स्टेकिंग करें। यदि मटर की फसल में फूल निकलने शुरू हो गए हैं तो खेत में हल्की सिंचाई भी करें।
टमाटर : यदि आपने पिछले महीने टमाटर के पौधों की रोपाई की है तो प्रति एकड़ खेत में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन या 35 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें। पोटाश, जिंक एवं बोरान की कमी के लक्षण नजर आने पर इनकी पूर्ति करें।
आम : आम के बगान की साफ-सफाई करें। वृक्षों को भुगना कीट से बचाने के लिए मोनोक्रोटोफास 04 प्रतिशत का छिडकाव करें।
अंगूर : अंगूर की बेलियों की कटाई-छंटाई करें। 1 वर्ष के प्रत्येक बेल में 100 ग्राम नाइट्रोजन, 60 ग्राम फॉस्फेट एवं 80 ग्राम पोटाश मिलाएं। 5 वर्ष से अधिक के सभी बेलों में 500 ग्राम नाइट्रोजन, 300 ग्राम फॉस्फेट एवं 400 ग्राम पोटाश की पूर्ति करें।
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