मसालों में जीरे का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खेती रबी मौसम में की जाती है। इसका उपयोग कई तरह के व्यंजनों में किया जाता है। इसका पौधा सौंफ की तरह नजर आता है। भारत में जीरे के कुल उत्पादन का करीब 80 प्रतिशत जीरे की खेती गुजरात एवं राजस्थान में की जाती है। जीरे की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
जीरा की कुछ उन्नत किस्में
आर जेड 19 : इस किस्म के पौधे उकठा रोग, छाछया रोग एवं झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधी है। इस किस्म की फसल को तैयार होने में 120 से 125 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 3.6 से 4.4 क्विंटल तक पैदावार होती है।
आर जेड 209 : इस किस्म की फसल में छाछया रोग एवं झुलसा रोग का प्रकोप कम होता है। यह किस्म करीब 120 से 125 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ भूमि से 2.8 से 3.2 क्विंटल तक पैदावार होती है।
जी सी 4 : यह किस्म उखटा रोग के प्रति संवेदनशील है। इस किस्म की फसल को पकने में 105 से 110 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ खेत से 2.8 से 3.6 क्विंटल तक जीरे की उपज होती है।
आर जेड 223 : यह किस्म उकठा रोग के प्रति सहनशील है। इस किस्म की बीज में तेल की मात्रा 3.25 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म की फसल को पक कर तैयार होने में 110 से 115 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 2.4 से 3.2 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है।
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