हमारे देश में करीब 0.7 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में जौ की खेती की जाती है। जिससे करीब 1.5 मिलियन पैदावार होती है। जौ एक बहु उपयोगी फसल है। इसका उपयोग पशुओं के लिए चारा, दाना, आदि के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग चॉकलेट, बिस्कुट, पेपर, फाइबर पेपर, फाइबर बोर्ड, नशीले पेय पदार्थ, आदि के निर्माण में भी किया जाता है। अगर आप भी करना चाहते हैं जौ की खेती तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां होना आवश्यक है। आइए जौ की खेती पर विस्तार से जानकारी कर प्राप्त करें।
बुवाई का सही समय
जौ की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक का समय सर्वोत्तम है।
सिंचित क्षेत्रों में नवंबर के आखिरी सप्ताह तक इसकी बुवाई की जा सकती है।
इसके अलावा पछेती किस्मों की बुवाई दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है।
बीज की मात्रा
समय पर बुवाई करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
देर से बुवाई करने पर 15 से 20 प्रतिशत अधिक बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई की विधि
जौ की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए।
सभी पंक्तियों के बीच 22 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
पछेती बुवाई के समय सभी पंक्तियों के बीच करीब 25 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
बीज की बुवाई 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
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