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कृषि विशेषयज्ञ
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जैविक विधि से करें बैंगन की खेती

जैविक विधि से करें बैंगन की खेती

लम्बे समय तक हानिकारक रसायन युक्त कीटनाशक, फफूंदनाशक, खरपतवार नाशक एवं उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में कमी आती है। इसके साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक है। ऐसे में हानिकारक रसायनों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए किसान जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई किसान जैविक विधि से खेती कर के अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

बात करें सब्जियों की खेती की तो हमारे देश में सब्जियों में आलू एवं टमाटर के बाद सबसे अधिक बैंगन की खेती की जाती है। अगर आप भी करना चाहते हैं जैविक विधि से बैंगन की खेती तो इस पोस्ट तो ध्यान से पढ़ें। यहां से आप बैंगन की जैविक खेती से जुड़ी बारीकियां जान सकते हैं।

जैविक विधि से कैसे करें भूमि शोधन?

  • कई बार पौधों में मिट्टी के द्वारा फफूंद जनित रोगों का प्रकोप होता है। इससे बचने के लिए मिट्टी का शोधन करना जरूरी है।

  • मिट्टी के शोधन के लिए सबसे पहले खेत की जुताई कर के क्यारियां तैयार करें।

  • इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर अमृत पानी के घोल का छिड़काव करें।

बीज की मात्रा एवं जैविक विधि से बीज उपचारित करने की विधि

  • प्रति एकड़ खेत में बैंगन की उन्नत किस्मों की खेती करने के लिए 200 से 250 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • वहीं संकर किस्मों की खेती के लिए 150 से 170 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

नर्सरी तैयार करने का उपयुक्त समय

  • बैंगन की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय जून-जुलाई का महीना है।

  • इसके अलावा अक्टूबर-नवंबर महीने एवं फरवरी-मार्च महीने में भी बैंगन की नर्सरी तैयार की जाती है।

  • पौधों को कई फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए प्रति 100 ग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें।

जैविक विधि से कैसे तैयार करें बैंगन की नर्सरी?

  • बैंगन की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करें और मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।

  • अब भूमि की सतह से 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां तैयार करें।

  • प्रति एकड़ भूमि में बीज की बुवाई से करीब 10 दिनों पहले 8 से 10 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं।

  • सभी क्यारियों में 6 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज की बुवाई करें।

  • जैविक विधि से बीज उपचारित करने के लिए 4 भाग पानी में 1 भाग 8 दिन 10 दिन पहले का सड़ा हुआ मट्ठा मिला कर घोल तैयार करें। इस घोल में बीज को करीब 4 घंटे तक डुबोकर उपचारित करें।

  • उपचारित बीज को छांव में सुखाकर 6 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर बुराई करें।

  • पौधों के अच्छे विकास के लिए एवं नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 100 से 150 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद या 40 से 50 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद मिलाएं।

जैविक विधि से मुख्य खेत में पौधों की रोपाई

  • नर्सरी में तैयार किए गए पौधों को मुख्य खेत में लगाने से पहले 25 लीटर पानी में 500 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरेसेन्स फ्लोरेसेंस मिलाकर घोल तैयार करें। इस घोल में पौधों की जड़ों को 15 से 20 मिनट तक डुबोकर रखें।

  • इसके अलावा बीजामृत के 3 प्रतिशत घोल से भी पौधों के जड़ों को उपचारित किया जा सकता है।

  • मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के 25 से 30 दिनों बाद 10 प्रतिशत गोमूत्र के घोल का छिड़काव करें।

  • पौधों में फूल आने के समय भी गोमूत्र के 10 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए बैंगन की जैविक खेती कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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