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कल्पना
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बीज अंकुरित न होने के इन कारणों से प्रभावित होगी पैदावार

बीज अंकुरित न होने के इन कारणों से प्रभावित होगी पैदावार

किसी भी फसल की खेती के लिए बीज का अंकुरित होना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। बीज अंकुरित करने के कई तरीके होते हैं। कुछ तरीकों को अपनाने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी तरीके हैं जिनके द्वारा बीज को अंकुरित होने में अधिक समय लगता है। इसके अलावा कई बार कड़ी मेहनत के एवं सही तरीके से बीज की बुवाई करने के बाद भी बीज के अंकुरण में समस्या आती है या बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में इसके कारणों का पता होना बहुत जरूरी है। आइए बीज अंकुरित नहीं होने के कुछ प्रमुख कारणों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

बीज अंकुरित नहीं होने के कुछ प्रमुख कारण

  • बीज की गुणवत्ता : कई बार बीज की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। जिसके कारण बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं। बीज खरीदते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप रोग रहित स्वस्थ बीज का चयन कर रहे हैं। उच्च गुणवत्ता के बीज प्राप्त करने के लिए किसी अच्छे खाद-बीज भंडार से ही बीज खरीदें।

  • निष्क्रिय बीज : अलग-अलग मौसम के अनुसार विभिन्न फसलों एवं सब्जियों की खेती की जाती है। ऐसे में कई बार बीज पर रसायनों को लगा कर कुछ समय के लिए निष्क्रिय कर दिया जाता है। जिससे बीज केवल किसी खास मौसम में ही अंकुरित होते हैं। इसलिए बीज का चयन करते समय मौसम का भी विशेष ध्यान रखें।

  • बीज का रख-रखाव : बीज का रख-रखाव भी उसके अंकुरित नहीं के कारणों में शामिल है। आवश्यकता से अधिक तापमान में या सीलन वाले स्थान में बीज भंडारित करने पर बीज खराब हो जाते हैं। इसलिए बीज को हमेशा किसी सूखे स्थान एवं सामान्य तापमान में भंडारित करना चाहिए।

  • समय से पहले या देर से बुवाई : सही समय पर बुवाई करना बेहद जरूरी है। सही समय पर बुवाई नहीं करने पर भी अंकुरण में कठिनाई होती है। यदि आप समय से कुछ दिनों पहले किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो अगेरी किस्मों का चयन करें। वहीं थोड़ी देर से बुवाई करने के लिए पछेती किस्मों का चयन करें।

  • बीज की गहराई : बीज की बुवाई के समय गहराई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। चौड़े एवं बड़े आकार के बीज की बुवाई 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई में करें। वहीं छोटे आकार के बीज की बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर करें। इससे अधिक गहराई में बुवाई नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही दूरी का ध्यान रखना भी आवश्यक है। बहुत कम दूरी के कारण भी अंकुरण में समस्या होती है।

  • रोग एवं कीटों का प्रकोप : कई बार कुछ मृदा जनित एवं फफूंद जनित रोगों एवं दीमक, सूत्रकृमि, आदि कीटों का प्रकोप होने पर बीज नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा खेत में पक्षियां एवं चूहे भी बीज को खा कर क्षति पहुंचाते हैं। जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है।

  • सिंचाई : आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से भी बीज के अंकुरण में समस्या उत्पन्न होती है। कई बार अधिक सिंचाई के कारण बीज सड़ जाते हैं। यदि बीज अंकुरित हो भी गए तो पौधे कमजोर होते हैं और आर्द्र गलन रोग की चपेट में आ कर नष्ट हो जाते हैं।

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