भारत में जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। अमरूद के फलों की भंडारण क्षमता भी अधिक होती है। इसकी बागवानी किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित हो सकती है। अमरूद की बागवानी से पहले उपयुक्त समय, मिट्टी एवं जलवायु, पौधों से पौधों की दूरी, आदि जानकारियां होना बहुत जरूरी है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
अमरूद की बागवानी के लिए उपयुक्त समय
अमरूद की बागवानी वर्ष में दो बार शुरू की जा सकती है।
नए पौधे लगाने के लिए फरवरी-मार्च का महीना उपयुक्त है।
इसके अलावा अगस्त-सितंबर महीने में भी नए पौधे लगाए जा सकते हैं।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
इसकी खेती किसी भी तरह की उपजाऊ मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है।
बेहतर पैदावार के लिए इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी में करें।
क्षारीय मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें। क्षारीय मिट्टी में इसकी खेती करने पर उकठा रोग होने का खतरा बना रहता है।
मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
अमरूद के पौधे अधिक गर्मी एवं अधिक ठंड दोनों सहन कर सकते हैं।
पौधों के बेहतर विकास के लिए न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड एवं अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।
पूरी तरह से विकसित पौधे 44 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहन कर सकते हैं।
पौधों से पौधों के बीच की दूरी
पौधों की रोपाई कतार में करें।
सभी करातों के बीच 6 मीटर की दूरी रखें।
वहीं पौधों से पौधों के बीच की दूरी करीब 5 मीटर होनी चाहिए।
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