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जामुन की खेती
जामुन की खेती
जामुन के नए पौधों की रोपाई के लिए जुलाई - अगस्त का महीना बेहतर होता है। कई औषधीय गुणों से भरपूर इसके फल गहरे बैंगनी से काले एवं अंडाकार होते हैं। बाजार में जामुन के फलों का अच्छा मूल्य मिलने के कारण किसान इसकी खेती कर के अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी , जलवायु, खेत की तैयारी आदि जानकारियां यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
मिट्टी एवं जलवायु
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अच्छी पैदावार के लिए इसकी खेती उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में करें।
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इसकी खेती कठोर एवं रेतीली मिट्टी में नहीं करनी चाहिए।
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इसके पौधों पर ठंड, गर्मी और वर्षा का बहुत अधिक प्रभाव नहीं होता है।
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लेकिन अधिक ठंड पौधों के लिए नुकसानदायक साबित होती है।
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वहीं अधिक गर्मी में भी पैदावार में कमी हो सकती है।
खेत की तैयारी
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खेत में सबसे पहले 1 बार गहरी जुताई करें।
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गहरी जुताई के बाद खेत को कुछ दिनों तक खुला रहने दें। इससे खेत में पहले से मौजूद हानिकारक कीट नष्ट हो जाएंगे।
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इसके बाद 1 से 2 बार हल्की जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत में पाटा लगा कर मिट्टी को समतल बना लें।
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अब खेत में 1 फीट चौड़े एवं 2 फीट गहरे गड्ढे तैयार करें। सभी गड्ढों के बीच 5 से 7 मीटर की दूरी रखें।
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मिट्टी में बराबर मात्रा में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद मिला कर गड्ढों में भरें और हल्की सिंचाई करें।
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अब आप सभी गड्ढों में जामुन के बीज या नर्सरी में पहले से तैयार किए गए पौधों की रोपाई कर सकते हैं।
सिंचाई एवं फलों की तुड़ाई
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जामुन के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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प्रति वर्ष जामुन के पौधों को केवल 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
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पौधों में फल आने के समय यानि अप्रैल से जून महीने में सिंचाई करने से पैदावार में वृद्धि होती है।
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अधिक ठंड होने पर पौधों को ठंड से बचाने के लिए सिंचाई करें।
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जामुन के फल पकने पर हरे रंग से गहरे बैंगनी या काले रंग के हो जाते हैं। फलों के पकने पर इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए।
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फलों की तुड़ाई में देर होने पर फल गिरने लगते हैं। इसलिए तुड़ाई उचित समय पर करें।
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