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मेंथा / पुदीना
औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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इस विधि से करें मेंथा की खेती, कम लागत में मिलेगा ज्यादा तेल

इस विधि से करें मेंथा की खेती, कम लागत में मिलेगा ज्यादा तेल

खेती की लागत कम करने में और पैदावार बढ़ाने  में फसल बुवाई की तकनीक अहम रोल अदा करती है। देखने में आया है कि अधिकतर किसान जानकारी के अभाव में पुराने तरीकों से मेंथा की बुवाई कर रहे हैं। जिसमें लागत के मुकाबले अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है। किसानों के होने वाले नुकसान को कम करने के लिए केंद्रीय औषधीय एवं सगंध संस्थान के वैज्ञानिकों ने मेंथा की खेती के लिए एक नई तकनीक इजात की है। जिसमें मेंथा को आलू की तरह मेड पर लगाया जाता है। तकनीक से बुवाई कर किसान ज्यादा उत्पादन पा सकते हैं और लागत में भी कमी आती है। मेड पर बुवाई करने से कम जड़ों का प्रयोग होता है और पौधों के बीच एक उचित खाली स्थान होने से सिंचाई कार्य भी आसान हो जाता है। संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य विधि में किसान सीधे सकर (जड़) लगाते थे, जिसमें प्रति एकड़ मेंथा लगाने के लिए एक कुंतल से लेकर डेढ़ कुंतल तक जड़ों का प्रयोग किया जाता था। वहीं नई विधि से पौधों के जरिए बुवाई करने पर केवल 40 किलोग्राम प्रति एकड़ जड़ों की ही जरूरत होगी।

नई तकनीक से बुवाई प्रक्रिया

  • सामान्य प्रकार से की जाने वाली मेंथा की खेती की तरह ही इस प्रक्रिया में भी सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जोतकर नर्सरी तैयार कर दी जाती है।

  • नर्सरी में जड़ों की रोपाई से पहले मेंथा की जड़ों को छोटा-छोटा काट कर जूट के बोरे में दो-तीन दिनों के लिए रख दिया जाता है, ताकि जड़ें अच्छी तरह से विकसित हो जाएं।

  • अब नर्सरी में जड़ें बिखेर देंगे। इसके बाद इसे पॉलीथिन शीट से ढक देते हैं, ताकि अगर तापमान कम भी रहे तो पौधों को गर्मी मिलती रहे।

  • पौधे रोपाई के लिए लगभग 20 से 25 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। जिन्हें मुख्य खेत में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड बनाकर रोपा जाता है।

  • पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 30 सेमी रखें। फरवरी के अलावा अन्य मौसम में यदि आप मेंथा की खेती कर रहे हैं तो पौधों के बीच की दूरी को 60 सेंटीमीटर तक बढ़ा लें।

  • पौधों को मेड के दोनों तरफ लगाएं। साथ ही पौधों को आमने सामने लगाने से बचें।

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मेंथा की खेती से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का लाभ उठाएं।

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