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सोयाबीन
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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इस तरह करें सोयाबीन की खेती, होगी अच्छी पैदावार

इस तरह करें सोयाबीन की खेती, होगी अच्छी पैदावार

हमारे देश में महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है। इनके अलावा सोयाबीन कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का भी अच्छा स्त्रोत है। इसकी खेती खरीफ के मौसम में की जाती है। अगर आप भी करना चाहते हैं सोयाबीन की खेती तो इससे जुड़ी कुछ जानकारियां होना आवश्यक है। आइए सोयाबीन की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों पर विस्तार से चर्चा करें।

सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त समय

  • इसकी बुवाई के लिए जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई महीने तक का समय सर्वोत्तम है।

उपयुक्त मिट्टी

  • सोयाबीन की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।

  • इसके अलावा इसकी खेती उपजाऊ दोमट मिट्टी एवं भुरभुरी मिट्टी वाले खेत में भी सफलतापूर्वक की जाती है।

  • बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि

  • प्रति एकड़ खेत में 25 से 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम से उपचारित करें।

  • इसके बाद बीज को पी एस बी जीवाणु टीके से भी उपचारित करें।

  • इसके लिए ठंडे गुड़ के घोल में  5 ग्राम जीवाणु टीके को मिलाएं। इस मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।

खेत तैयार करने की विधि

  • खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से करीब 9 से 12 इंच गहरी जुताई करें।

  • जुताई के बाद खेत को कुछ दिनों तक खुला रहने दें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार की जड़ें ऊपर आ कर धूप लगने से सूख कर नष्ट हो जाएंगी।

  • इसके बाद खेत में 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।

  • हल्की जुताई के बाद खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बनाने के लिए पाटा लगाएं।

  • अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ भूमि में 2 से 4 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।

  • बीज की बुवाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।

  • कम फैलने वाली किस्मों के लिए क्यारियों के बीच 30 से 35 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

  • अधिक फैलने वाली किस्मों की खेती के लिए क्यारियों के बीच 40 से 45 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।

  • पौधों से पौधों के बीच 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

  • बीज की बुवाई 2.5 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर करें। इससे जड़ों का अच्छा विकास होता है।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • वर्षा होने पर फसल में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • सोयाबीन की फसल में 2 से 3 बार सिंचाई करें।

  • पौधों में फलियां बनते समय सिंचाई करना आवश्यक है।

  • खेत में नमी की मात्रा कम होने पर 1 से 2 बार हल्की सिंचाई करें।

  • सोयाबीन की फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार एवं सकरी पत्ते वाले खरपतवारों की समस्या होती है।

  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद पहली निराई गुड़ाई करें।

  • बुवाई के करीब 40 से 45 दिनों बाद दूसरी निराई गुड़ाई करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठाते हुए सोयाबीन की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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