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इस तरह करें पपीता की खेती, होगी भरपूर पैदावार
इस तरह करें पपीता की खेती, होगी भरपूर पैदावार
मीठा एवं स्वादिष्ट पपीता कई व्यक्तियों के पसंदीदा फलों में शामिल है। कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण पपीता की मांग बढ़ती जा रही है। पौधों में जल्दी फल आने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित होती है। अगर आप भी करना चाहते हैं पपीता की खेती तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां होना आवश्यक है। आइए पपीता की बेहतर पैदावार के लिए ध्यान में रखने वाली बातों पर विस्तार से चर्चा करें।
पपीता की खेती के लिए सही समय
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पपीता की खेती वर्ष में 3 बार की जा सकती है।
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नए पौधों की रोपाई के लिए सितम्बर-अक्टूबर का महीना उपयुक्त है।
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खरीफ मौसम में पौधों की रोपाई जून-जुलाई महीने में की जाती है।
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वसंत ऋतू में पौधों की रोपाई के लिए फरवरी-मार्च का महीना उपयुक्त है।
पपीता की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
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बेहतर पैदावार के लिए भारी और रेतीली मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें।
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मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
नर्सरी में पौधे तैयार करने की विधि
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नर्सरी में पौधे तैयार करने के लिए मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करें। इसके बाद भूमि की सतह से 15 - 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई एवं 10 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां बनाएं।
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सभी क्यारियों में 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज की बुवाई करें।
प्लास्टिक बैग में पौधे तैयार करने की विधि
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प्लास्टिक बैग में पौधे तैयार करने के लिए 25 सेंटीमीटर लम्बे एवं 20 सेंटीमीटर चौड़े मुंह वाले प्लास्टिक बैग में मिट्टी, रेत और गोबर की खाद मिला कर भरें।
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सभी बैग में 1 से 2 बीज की बुवाई करें।
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बीज अंकुरित होने के बाद यदि प्लास्टिक बैग में 2 पौधे आए हैं तो एक पौधे को अलग रखें।
मुख्य खेत में पौधों की रोपाई
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मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से करीब 15 दिन पहले खेत में गड्ढे तैयार करें।
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करीब 2 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर की गहराई एवं 50 सेंटीमीटर चौड़ाई वाले गड्ढे तैयार करें।
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पौधों की रोपाई के समय सभी गड्ढों में बराबर मात्रा में मिट्टी एवं गोबर की खाद मिला कर भरें।
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पौधे जब 15 से 20 सेंटीमीटर के हो जाएं तब पौधों को सावधानी से निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें।
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100 मादा पौधों के लिए 5 से 10 नर पौधों की आवश्यकता होती है।
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