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इस समय पर करें ज्वार के लिए खेत की तैयारी
इस समय पर करें ज्वार के लिए खेत की तैयारी
ज्वार का प्रयोग मुख्यत: खाद्य और पशुओं के हरे चारे के लिए किया जाता है। इसकी फसल को सिंचित और असिंचित दोनों ही प्रकार की भूमि में उगा सकते हैं। इसकी फसल उत्तर भारत में खरीफ की फसल के रूप में की जाती है। वहीं दक्षिण भारत में रबी की फसल के रूप में की जाती है। इसलिए इसकी बुवाई के समय को लेकर हमारे किसान भाई दुविधा में रहते हैं।
बुवाई के सही समय की जानकारी होने पर किसान अधिक पैदावार का लाभ उठा सकते हैं। आप भी इस फसल के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए ही है। हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको ज्वार की खेती का सही समय और खेत तैयार करने की विधि के बारे में बता रहे हैं। जानकरी के लिए पढ़िए पूरा आर्टिकल
ज्वार के लिए खेत की तैयारी का समय
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बुवाई से एक महीने पहले खेत की तैयारी शुरू कर दें।
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ज्वार की फसल बोने का समय मार्च से जुलाई तक रहता है। इस दौरान आप फसल की बुवाई कर सकते हैं।
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जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक इसकी बुवाई ज्यादा अच्छी मानी जाती है।
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देश के अधिकतर हिस्से में पहली बारिश के बाद ही ज्वार की फसल की बुवाई कर दी जाती है।
बिजाई का समय
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बिजाई का उचित समय मध्य जून से मध्य जुलाई है।
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हरे चारे के लिए बिजाई मध्य मार्च में की जाती है।
ज्वार के लिए उपयुक्त मिट्टी
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यह कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।
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हालांकि मटियार दोमट वाली मिट्टी ज्वार की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है।
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मिट्टी जल निकास युक्त होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
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खेत की तैयारी के समय मिट्टी को भुरभुरी बनाना आवश्यक है।
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बिजाई से पहले 4-6 टन हरी खाद या रूड़ी की खाद मिट्टी में डालें।
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पिछली फसल के कटने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से खेत में 15-20 सेंटीमीटर गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 4 से 5 बार खेत में देशी हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना दें।
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बुवाई से पहले खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल कर लें।
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कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मेड़ बनाकर जल संरक्षण करना चाहिए।
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अंतिम जुताई से पहले दीमक की रोकथाम के लिए 10 किलोग्राम प्रति एकड़ क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए।
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बुवाई से 10 से 15 दिन पहले 4 से 6 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद को खेत में अच्छी तरह से मिला लें।
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बिजाई के शुरूआती समय में नाइट्रोजन 20 किलोग्राम (44 किलोग्राम यूरिया), फासफोरस 8 किलोग्राम (16 किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 10 किलोग्राम (16 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
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फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बिजाई के समय डालें। बची हुई खाद बिजाई के 30 दिनों के बाद डालें।
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कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उर्वरक की आधी मात्रा का प्रयोग करें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और ज्वार की खेती को समय पर तैयार कर फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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