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इस समय करें जिमीकंद की खेती और पाएं अधिक मुनाफा
इस समय करें जिमीकंद की खेती और पाएं अधिक मुनाफा
जिमीकंद यानी ओल एक औषधीय पौधा है। इसे भारत में सूरन, बालू कंद, कंद तथा चीनी आदि नाम से जाना जाता है। भारत में इसकी खेती वर्षों से की जा रही है। किन्तु फिर भी कई किसान इसकी खेती से मुनाफा नहीं ले पा रहे हैं। किसी भी फसल से मुनाफा प्राप्त करने के लिए सही विधि से खेती करना आवश्यक है। आज हम किसानों को जिमीकंद के लिए खेत को तैयार करना, बुवाई का सही समय एवं बीज की मात्रा और रोपाई कैसे करते हैं, इसकी जानकारी देंगे। जिससे आप इसकी खेती से अधिक से अधिक मुनाफा एवं उत्पादन प्राप्त कर सकें। इन सभी जानकारियों के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
बुवाई का समय
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जिमीकंद गर्म जलवायु का पौधा है।
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इसकी खेती के लिए 20 से 35 डिग्री तापमान उचित रहता है।
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कंदों की रोपाई के लिए अप्रैल-मई महीना अच्छा रहता है।
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जिमीकंद की खेती बारिश से पहले या बाद में भी की जा सकती है।
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सिंचाई का प्रबंध होने पर मार्च के महीने में भी जिमीकंद की खेती कर सकते हैं।
खेत तैयार करने की विधि
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जिमीकंद के लिए भुरभुरी मिट्टी अच्छी रहती है।
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मिट्टी पलटने के लिए पहले खेत की गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2-3 बार खेत की हल्की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं।
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अब खेत में पाटा चला कर मिट्टी को समतल बना लें।
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कंदों की रोपाई के लिए नालियों या गड्ढों को तैयार करें।
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इन नालियों के बीच करीब 2 से 2.5 फीट की दूरी रखें।
बीज की मात्रा एवं रोपाई
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जिमीकंद की रोपाई के लिए कंद को काटकर लगाया जाता है।
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कंद की रोपाई के लिए 250-500 ग्राम वजन वाले कंद अच्छे होते हैं। अगर कंद का वजन इससे ज्यादा है तो काट कर रोपाई करें।
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कंद को काटते समय ध्यान रखें कि हर टुकड़े में कालर या दो आंखे अवश्य हो। जिससे अंकुरण अच्छा हो सके।
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कंद को बोने से पहले कंदों को उपचारित करें।
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बीजों की 2-2 फीट की दूरी पर रोपाई करें। इसके बाद मिट्टी से ढक दें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और जिमीकंद की समय से खेती कर फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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