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इस समय करें हरे चारे ग्वार के लिए खेत तैयार और पाएं अधिक पैदावार
इस समय करें हरे चारे ग्वार के लिए खेत तैयार और पाएं अधिक पैदावार
विश्व में सबसे ज्यादा ग्वार का उत्पादन भारत में होता है। ग्वार की खेती कम लागत एवं समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। इसकी खेती बाजरे के साथ की जाती है। इसकी खेती से किसान लाखों रुपये का मुनाफा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। वहीं कुछ जगहों पर इसका इस्तेमाल हरे चारे के रूप में किया जाता है। ग्वार चारा पशुओं के लिए पौष्टिक चारे की फसल है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटाश आदि पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इसकी खेती राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश राज्यों में की जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को हरे चारे ग्वार की बुआई का समय एवं खेत तैयार करने की विधि बताएंगे। जिनको अपनाकर किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
हरे चारे ग्वार की बुआई का समय
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ग्वार की खेती गर्मी एवं बारिश दोनों मौसम में की जाती है।
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गर्मी के मौसम में ग्वार फसल की बुआई फरवरी-मार्च महीने में की जाती है।
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बारिश में ग्वार फसल की बुआई 1 से 15 जुलाई के बीच की जाती है।
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वहीं जल्दी पकने वाली किस्म की बुआई 20 से 30 जून तक की जाती है।
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25 जुलाई के बाद बीज की बुआई करने पर उपज कम होती है।
हरे चारे ग्वार के लिए खेत तैयार करने की विधि
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इसके लिए सबसे पहले खेत में गहरी जुताई कर, मिट्टी को धूप लगने के लिए छोड़ दें।
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मानसून शुरू होने पर 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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आखिरी जुताई के समय 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ गोबर खाद का इस्तेमाल करें।
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अब खेत में पाटा लगा मिट्टी को भुरभरी बना लें।
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अच्छी पैदावार लेने के लिए 9 किलोग्राम नाइट्रोजन, 19 किलोग्राम फास्फोरस, 12 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से आखिरी बुआई के समय इस्तेमाल करें।
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अब बीज की बुआई के लिए खेत में क्यारियां बनाएं।
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सभी क्यारियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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दो पौधों के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर रखें।
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बीज की बुआई से पहले खेत खरपतवार से रहित एवं पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
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