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औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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ईसबगोल की खेती : अधिक मुनाफे के लिए अपनाएं यह तकनीक

ईसबगोल की खेती : अधिक मुनाफे के लिए अपनाएं यह तकनीक

आयुर्वेद और घरेलू उपचार की तरफ बढ़ते हुए लोगों के रुझान ने किसानों की औषधीय खेती में कई गुना तक लाभ बढ़ाने का काम किया है। हालांकि कई बार औषधीय फसलों की समय अवधि इतनी ज्यादा होती है, कि किसानों को इस लाभ के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ जाता है, जिससे बचने के लिए एवं कम जमीन वाले किसानों के लिए ईसबगोल जैसी औषधीय फसल की खेती सभी मायनों में एक लाभकारी फसल कही जा सकती है।

ईसबगोल एक झाड़ीनुमा पौधा होता है और गेहूं की बालियों के समान रूप होने से पहचाना जा सकता है। सामान्य तौर पर औषधि कब्ज, दस्त, दिल, कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं के निवारण के लिए प्रयोग होती है और हर उम्र के व्यक्ति के सेवन के अनुरूप और पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग होने के कारण बाजार में आसानी से खरीदी और बेची जा सकती है।

खेती के लिए उचित समय

  • ईसबगोल की बुवाई अक्टूबर से नवंबर माह के बीच पूरी कर ली जाती है।

भूमि एवं जलवायु

  • फसल के बेहतर उत्पादन के लिए उचित जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट में इसकी खेती की जानी चाहिए।

  • भूमि का पीएच मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए।

  • फसल शीतोष्ण जलवायु में अच्छा उत्पादन देती है परन्तु अधिक आर्द्रता एवं नमीयुक्त जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी खेती करने से बचना चाहिए |

  • बीज के अंकुरण के लिए उचित तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस और पौधों के बेहतर विकास के लिए 30 – 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।

बुवाई का तरीका

  • बुवाई कतारों में की जाती है, इसके लिए 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी को आदर्श माना गया है।

  • पौधों के बीच की दूरी 4 से 5 सेंटीमीटर के मध्य रखें।

  • बुवाई से पूर्व बीज को करीब 3 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर लें।

  • बीज आकार में बहुत छोटे होते हैं जिस कारण छिड़काव विधि या बराबर मात्रा में रेत मिला कर कतार में बीजों की बुवाई की जानी चाहिए।

  • बुवाई के समय ध्यान दें कि बीजों को जमीन में 2 सेंटीमीटर से अधिक गहराई पर न बोएं।

उर्वरक प्रबंधन

  • जुताई के समय 2 टन अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद का छिड़काव प्रति एकड़ खेत की दर से करें।

  • खेत तैयार करते समय खेत में 10 किलोग्राम नाइट्रोजन, 16 किलोग्राम फास्फोरस एवं 8 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें।

  • 10 किलोग्राम नाइट्रोजन खेत में 25 से 30 दिन बाद सिंचाई के समय डालें।

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कई रूपों में प्रयोग होने वाली औषधीय फसल ईसबगोल किसानों के लिए एक उन्नत व्यावसायिक फसल है, जो कम समय और जमीन के साथ अधिक लाभ देने के लिए जाने जाती है। खेती से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें।


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