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औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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ईसबगोल: 4 किस्में जो बना सकती हैं आपको मालामाल

ईसबगोल: 4 किस्में जो बना सकती हैं आपको मालामाल

ईसबगोल पर अपने पिछले पोस्ट में हमने आपको खेती की तकनीक, उचित समय, जलवायु और उर्वरक प्रबंधन जैसी जानकारी से अवगत कराया था। ईसबगोल भारत में तेजी से बढ़ती एक औषधीय फसल है और देश से प्रतिवर्ष 120 करोड़ मूल्य के निर्यात से इसने प्रथम श्रेणी की औषधीय फसलों में अपना नाम दर्ज करवा दिया है। भारत में राजस्थान के जालोर और बाड़मेर जिले ईसबगोल के सर्वाधिक उत्पादक जिले हैं, इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में भी करीब 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ईसबगोल की खेती की जाती है।

औषधीय फसलों से बढ़ते व्यापार और फसलों से मिलते अधिक लाभ ने कई किसानों का रुझान औषधीय खेती की तरफ बढ़ाया है। ऐसे में यह भी जरूरी है कि किसान अपने क्षेत्र या क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही फसल किस्मों का चयन करें। पोस्ट में हमने आगे ईसबगोल की कुछ ऐसी ही चुनिंदा किस्मों की जानकारी साझा की है, जिन्हें आप अपने क्षेत्र के अनुसार चुन कर बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

आर.आई.1 ईसबगोल : यह राजस्थान क्षेत्रों में बोई जाने वाली प्रमुख किस्मों में से एक है। किस्म तकरीबन 110 से 120 दिनों में पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज देती है। किस्म के पौधे 29 सेंटीमीटर से 47 सेंटीमीटर तक बढ़ सकते हैं। साथ ही तुलासिता रोग के प्रति मध्यम सहनशीलता इस किस्म को एक बेहतरीन किस्म बनाती है।

जवाहर ईसबगोल 4 : इस किस्म की बुवाई नवंबर के प्रथम सप्ताह में पूर्ण रूप से की जानी चाहिए। ईसबगोल की यह किस्म छोटे बीजों वाली होती है और कम उपज वाली मिट्टी में पूर्ण रूप से विकास नहीं कर पाती है। किस्म की फसल अवधि 110 से 120 दिन है साथ ही फसल के बेहतर अंकुरण के लिए 20 से 30 डिग्री की आवश्यकता बताई गई है। 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार देने वाली ईसबगोल की यह किस्म मध्य प्रदेश के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी गयी है।

आर.आई. 89 ईसबगोल : इस किस्म की खेती राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में अधिक मात्रा में देखने को मिल सकती है। 30 से 40 सेंटीमीटर पौधों की ऊंचाई वाली इस किस्म की अवधि 110 से 115 दिन है, साथ ही 5 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज क्षमता के साथ यह कई प्रकार के रोगों एवं कीटों के प्रति भी सहनशील है।

गुजरात ईसबगोल 2 : ईसबगोल की यह प्रजाति 1983 में विकसित की गयी थी। किस्म 28 से 30 प्रतिशत तक भूसी की मात्रा के साथ प्रति एकड़ 5 से 6 क्विंटल उत्पादन देने की क्षमता रखती है। यह किस्म 118 से 125 दिनों में पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है।

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कई रूपों में प्रयोग होने वाली औषधीय फसल ईसबगोल किसानों के लिए एक उन्नत व्यावसायिक फसल है, जो कम समय और जमीन के साथ अधिक लाभ देने के लिए जानी जाती है। खेती से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें।


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