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हरी मटर की उन्नतशील किस्में
हरी मटर की उन्नतशील किस्में
मटर की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है। मटर की उपज इसकी विभिन्न किस्मों पर निर्भर करता है। यदि आप इस मौसम में मटर की खेती करना चाहते हैं तो मटर की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
मटर की किस्में
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पूसा भारत : इस किस्म को वर्ष 2001 में विकसित किया गया था। बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं असम में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्मों में से एक है। प्रति एकड़ जमीन से 6 क्विंटल फसल की पैदावार होती है। यह जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। बुवाई के करीब 100 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है। यह किस्म चूर्णिया फफूंदी रोग की प्रतिरोधी है।
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पूसा श्री : वर्ष 2013 में विकसित की गई यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी प्रत्येक फली से 6 से 7 दाने निकलते हैं। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां प्राप्त होती हैं।
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पूसा पन्ना : 2001 में विकसित की गई यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान एवं उत्तराखंड में खेती के लिए उपयुक्त है। यह शीघ्र तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। बुवाई के करीब 90 दिनों बाद फसल की तुड़ाई की जा सकती है।
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अर्कल : यह अगेती किस्मों में से एक है। इसके पौधों की ऊंचाई 50 से 60 सेंटीमीटर होती है। प्रति एकड़ जमीन से 26 से 28 क्विंटल मटर की पैदावार होती है।
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हिसार हरित (पी.एच 1) : बुवाई के 70 दिनों बाद फलियों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। इसकी फलियों का आकार लंबा होता है एवं फलियां दानों से भरी होती हैं। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 30 से 35 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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बायोसीड पी 10 : यह अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में शामिल है। इसकी प्रत्येक फली में 9 से 11 दाने होते हैं। बुवाई के 65 से 75 दिनों में फलियों की तुड़ाई कर सकते हैं।
इसके अलावा मटर की कई अन्य किस्में भी हैं जिनकी खेती कर के आप बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं। जिनमें बोनविले, आजाद मटर 1, काशी उदय (वी.आर.पी 6), काशी शक्ति (वी.आर.पी 7) अर्ली बैजर, जवाहर मटर, एन पी 29, पंत मटर 155, विवेक मटर 8 आदि शामिल हैं।
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