पोस्ट विवरण
सुने
धनिया
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
Follow

हरी धनिया की व्यापारिक खेती

हरी धनिया की व्यापारिक खेती

हमारे देश में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में धनिया की खेती प्रमुखता से की जाती है। धनिया की हरी पत्तियों के साथ इसके दानों को भी मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यदि आप धनिया की खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती से जुड़ी जानकारियां यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

बुवाई का समय

  • धनिया की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय सबसे उपयुक्त है।

  • इसके अलावा नवंबर-दिसंबर महीने में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।

  • बीज की मात्रा एवं बीज उपचार

  • प्रति एकड़ खेत के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बीज उपचारित करते समय सबसे पहले धनिया के बीज को 2 भागों में कर लें।

  • इसके बाद प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन से उपचारित करें।

  • इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेंडाजिम से भी उपचारित किया जा सकता है।

  • उपचारित बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इससे अंकुरण में आसानी होती है।

  • कार्बेंडाजिम के अलावा थिरम से भी बीज को उपचारित कर सकते हैं।

मिट्टी एवं जलवायु

  • धनिया की खेती के लिए दोमट मिट्टी, मटियार मिट्टी एवं कछारी मिट्टी सबसे अच्छी होती है।

  • अच्छी फसल के लिए शुष्क एवं ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है।

  • खेत का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जीवांश एवं अच्छी जल धारण करने की क्षमता हो।

  • मिट्टी का पी.एच स्तर 6.5 से 7.5 होना चाहिए।

खेत की तैयारी

  • खेत में 1 बार गहरी जुताई करें।

  • इसके बाद खेत में 2 बार आड़ी-तिरछी जुताई करें।

  • जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।

  • अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ जमीन में 8 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ जमीन में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम स्फुर, 8 किलोग्राम पोटाश एवं 8 किलोग्राम सल्फर मिलाएं।

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • धनिया की सिंचाई मिट्टी में मौजूद नमी के अनुसार करनी चाहिए।

  • पहली सिंचाई बीज की बुवाई के तुरंत बाद करें।

  • इसके बाद हर 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • खेत में खरपतवार की समस्या से बचने के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें।

कटाई एवं गहाई

  • पौधों की ऊंचाई जमीन की सतह से 20 से 25 सेंटीमीटर ऊपर होने पर धनिया की हरी पत्तियों की कटाई कर लेनी चाहिए।

  • इस तरह आप कुछ समय के अंतराल पर तीन से चार बार कटाई कर सकते हैं।

  • यदि बीज प्राप्त करने के लिए धनिया की खेती की गई है तो दानों के हरे रहने पर ही कटाई कर लें।

  • कटाई के बाद 6 से 7 दिनों तक फसल को खुली धूप में सूखने के लिए रख दें।

  • जब फसल पूरी तरह सूख जाए तब इसकी गहाई करके बीजों को अलग कर लें।

यदि आपको यह जानकारी आवश्यक लगी हो तो हमारे इस पोस्ट को लाइक करें साथ ही अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

92 Likes
45 Comments
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ