इस मौसम किसान कई पोषक तत्वों से भरपूर धनिया की खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी पत्तियां हो या दाने, दोनों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। विटामिन सी से भरपूर धनिया की खेती से पहले उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। यहां से आप धनिया की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उन्नत किस्में
जी सी 2 (गुजरात धनिया 2) : यह हरी पत्तियों के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है और दाने मध्यम आकार के होते हैं। इस किस्म को पक कर तैयार होने में करीब 110 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ जमीन में खेती करने से लगभग 6 क्विंटल की पैदावार प्राप्त होती है।
हिसार सुगंध : इस किस्म के पौधों की ऊंचाई मध्यम होती है। साथ ही इसके दाने भी मध्यम आकार के होते हैं। बुवाई के 120 से 125 दिनों के बाद फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ जमीन से 7.5 से 8.4 क्विंटल फसल की पैदावार होती है।
आर सी आर 41 : यदि आप पत्तियों के लिए धनिया की खेती कर रहे हैं तो यह उपयुक्त किस्मों में से एक है। इसके फूलों का रंग गुलाबी एवं दाने छोटे होते हैं। बुवाई के बाद फसल को पकने में 130 से 140 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ जमीन से करीब 8 क्विंटल फसल की उपज होती है।
पंत हरितमा : यह किस्म हरी पत्तियां एवं दानों दोनों के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे मध्यम ऊंचाई के एवं दाने गोल और मध्यम आकार के होते हैं। बुवाई के करीब 110 दिनों बाद फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ जमीन से 6 से 8 क्विंटल की पैदावार होती है।
इसके अलावा धनिया की कई अन्य किस्मों की भी खेती की जाती है। जिनमें जे.डी 1, सी एस 6, सिम्पो एस 33, कुंभराज, आर सी आर 446, आर सी आर 728, आर सी आर 684, आदि किस्में शामिल हैं।
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