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हनी प्लांट की खेती से पाएं मुनाफे की मिठास
हनी प्लांट की खेती से पाएं मुनाफे की मिठास
हनी प्लांट को स्टीविया और मीठी तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। डायबिटीज़ के बढ़ते रोगियों के कारण स्टीविया की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। हनी प्लांट चीनी से 50 गुणा ज्यादा मीठी होती है। प्रोसेसिंग से इसकी मिठास को 200 गुणा तक बढ़ाया जा सकता है। इतनी मीठी होने के बाद भी इससे डायबिटीज़ के रोगियों को कोई नुकसान नहीं होता। इसके सेवन से खून में ग्लूकोज की मात्रा भी कंट्रोल होती है इसलिए यह मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए भी फायदेमंद है। किसान इसकी खेती कर के अपने जीवन में मुनाफे की मिठास भर सकते हैं।
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स्टीविया की एक बार बुवाई कर के 5 सालों तक फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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इसकी खेती पूरे भारत में की जा सकती है।
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हनी प्लांट की खेती के लिए 6.5 से 7.5 पी.एच की बलुई मिट्टी वाले खेत सबसे अच्छे माने जाते हैं।
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बहुत ज्यादा ठंड और गर्मियों की लू में फसल के लिए हानिकारक है।
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स्टीविया की अच्छी फसल के लिए तापमान 15 से 30 डिग्री होना चाहिए।
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पौधों की जमीन से 15 से 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई होने पर फसल की कटाई शुरू की जाती है।
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पौधों को लगाने के लगभग 3 - 4 महीने बाद पहली कटाई की जाती है। किसान एक साल में 3 से 4 बार इसकी कटाई कर सकते हैं।
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इसकी पत्तियों को काट कर छाया में सुखाया जाता है। सूखी पत्तियों को बाजार में करीब 200 रूपए प्रति किलो के दर से बेच सकते हैं।
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एक हेक्टेयर जमीन से 60 - 65 क्विंटल सूखी पत्तियां मिल जाती हैं।
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