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हल्दी
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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हल्दी की फसल में उर्वरक प्रबंधन

हल्दी की फसल में उर्वरक प्रबंधन

उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग बहुत जरूरी है। अगर आप हल्दी की खेती कर रहे हैं और आपको हल्दी की फसल में डालने के लिए खाद एवं अन्य उर्वरक की जानकारी नहीं है तो आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां दिए गए सुझाव को अपना कर आप हल्दी की बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं।

  • हल्दी की बेहतर फसल के लिए आप प्रति एकड़ जमीन में 8 से 10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद मिला सकते हैं।

  • खेत की जुताई से पहले खेत में गोबर खाद मिला देना चाहिए।

  • आप गोबर खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • प्रति एकड़ जमीन में 40 से 48 किलोग्राम नत्रजन का छिड़काव करना चाहिए।

  • खेत की आखिरी जुताई के समय 40 से 48 किलोग्राम नत्रजन की आधी मात्रा मिला कर जुताई करें।

  • बचे हुए नत्रजन (करीब 20 से 24 किलोग्राम) को दो भागों में बांट लें।

  • इसमें से 10 से 12 किलोग्राम नत्रजन को बुवाई के 40 से 60 दिनों बाद खेत में डालें।

  • नत्रजन के दूसरे भाग को बुवाई के 80 से 100 दिन बाद खेत में मिला कर मिट्टी चढ़ाएं।

  • प्रति एकड़ खेत में करीब 24 से 32 किलोग्राम स्फुर और 32 से 40 किलोग्राम पोटाश की भी आवश्यकता होती है।

  • हल्दी की खेती के लिए पोटाश बहुत जरूरी है। इसके प्रयोग से हल्दी की गुणवत्ता और पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

  • इसके अलावा आप हल्दी की पैदावार में वृद्धि के लिए प्रति एकड़ जमीन में 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट और आयरन सल्फेट मिला सकते हैं।

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