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गन्ने में लाल सड़न की बीमारी के कारण एवं उपचार
गन्ने में लाल सड़न की बीमारी के कारण एवं उपचार
लाल सड़न रोग
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गन्ने में लाल सड़न की बीमारी को गन्ने में कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।
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यह एक फफूंद जनित रोग है। जिसके लक्षण जुलाई से अगस्त के समय पर दिखने लगते हैं।
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ठंड, गीला मौसम, मिट्टी में उच्च नमी और एक ही फसल की लगातार खेती इस बीमारी को बढ़ाने के कुछ मुख्य कारण हैं।।
बीमारी के लक्षण एवं नुकसान
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प्रभावित पौधों की तीसरी और चौथी ऊपरी पत्तियां एक या दोनों किनारों से पीली होकर सूखने लगती हैं।
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गन्ने के बीच से दो भाग कर देने पर गन्ने पर लाल रंग दिखाई देने लगता है।
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गन्ने की गांठों तथा छिलकों पर फफूंद के बीजाणु विकसित होने लगते हैं।
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गन्ने का गूदा लाल और भूरे रंग के फफूंद से भर जाता है।
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पौधों के सूखने पर उनसे अल्कोहल जैसी गंध आने लगती हैं।
रोकथाम के उपाय
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गुणवत्तापूर्ण और रोग प्रतिरोधी स्वस्थ बीज का चुनाव इस रोग की रोकथाम का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।
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गन्ने की बुवाई के लिए अलग-अलग किस्म का फसल चक्र अपनाएं और बीज की एकल बुवाई न करें।
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बुवाई के समय पर प्रति एकड़ की दर से 4 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा का छिड़काव करें।
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नम गर्म शोधन मशीन से 54 डिग्री सेंटीग्रेड पर 1 घंटे तक बीज को उपचारित करें l
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गन्ना बीज को उपचारित करने के लिए 100 ग्राम कार्बेन्डाजिम 0.2 प्रतिशत और 250 ग्राम बाविस्टिन 0.2 प्रतिशत के साथ 100 लीटर पानी के मिश्रण में बीजों को 30 मिनट तक डुबोकर रखें।
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