गन्ने की बुवाई के बाद शुरुआती अवस्था में गन्ने की बढ़वार बहुत धीमी गति से होती है। ऐसे में खरपतवारों के पनपने से गन्ने की बढ़वार एवं गुणवत्ता में कमी आ जाती है। समय रहते यदि खरपतवारों पर नियंत्रण नियंत्रण नहीं किया तो पैदावार में भारी कमी हो सकती है। अगर आप कर रहे हैं गन्ने की खेती और खतपतवारों की अधिकता से हैं परेशान तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले खरपतवारों पर नियंत्रण की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
वसंतकालीन गन्ने की फसल में होने वाले प्रमुख खरपतवार
गन्ने की फसल में कई तरह के खरपतवार पाए जाते हैं। जिनमे चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, संकरी पत्ती वाले खरपतवार, मोथा कुल के खरपतवार एवं बेल वाले के खरपतवार शामिल हैं। बेल वाले खरपतवार गन्ने के तनों पर बढ़ने लगते हैं। जिससे गन्ने के पौधे झुकने लगते हैं और फसल की वृद्धि बाधा आती है। वसंतकालीन गन्ने की फसल में होने वाले कुछ प्रमुख खरपतवार इस प्रकार हैं :
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार
पत्थरचटा, कनकवा, मकोय, हजारदाना, जंगली चौलाई, जंगली जूट, कालादाना, सफेद मुर्ग, गोखरू, अगेव
संकरी पत्ती वाले खरपतवार
दूबघास, कोदो, संवा, बनचरी, मकड़ा घास, मोथा
विभिन्न खरपतवारों पर कैसे करें नियंत्रण?
निराई-गुड़ाई :
खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई सबसे बेहतर विकल्प है। इसमें लागत भी कम होती है और हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं होने से मिट्टी एवं फसलों पर दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।
बुवाई के 30 दिनों बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। बुवाई के 60 दिनों बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें एवं बुवाई के 90 दिनों बाद तीसरी बार निराई-गुड़ाई करें।
अंकुरण से पहले :
गन्ने की बुवाई के बाद एवं अंकुरण से पहले खरपतवारों पर नियंत्रण करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 800 ग्राम एट्राजिन (एट्राटाफ, धानुजीन) का प्रयोग करें।
इसके अलावा बुवाई के बाद 2 दिनों के अंदर आप प्रति एकड़ खेत में 800 ग्राम पेन्डीमेथालिन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
खड़ी फसल में :
चौड़ी पत्ती के खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 600 ग्राम 2,4-डी (2,4-डी, वीडमार, एग्रोडोन-48) का प्रयोग करें।
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