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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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गन्ने की फसल में खरपतवार की समस्या पर नियंत्रण

गन्ने की फसल में खरपतवार की समस्या पर नियंत्रण

गन्ने की फसल में खरपतवारों के होने से उपज में 40 प्रतिशत तक कमी आती है। गन्ने की फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ सकरी पत्ती वाले खरपतवारों की भी समस्या होती है। इसके अलावा बेल की तरह बढ़ने वाले खरपतवारों के कारण गन्ने के पौधे झुकने लगते हैं। जिससे गन्ने के विकास में बाधा आती है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम गन्ने की फसल में होने वाले खरपतवारों पर पर नियंत्रण की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

गन्ने की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए किए जाने वाले कार्य

  • खेत में पहले से मौजूद खरपतवारों से निजात पाने के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई करें।

  • यदि संभव हो तो खेत में एक बार गहरी जुताई कर के कुछ दिनों तक खुला रहने दें।

  • मल्चिंग करना भी लाभदायक साबित होता है। इससे प्रकाश नहीं मिलने के कारण खरपतवार सूख कर नष्ट हो जाते हैं।

  • मल्चिंग करने के लिए गन्ने की पक्तियों के बीच खाली स्थान पर सूखी पत्तियां एवं पुवाल की 7 से 12 सेंटीमीटर मोती परत बिछाएं।

  • अगर खेत में खरपतवारों की समस्या अधिक होती है तो गन्ने की बुवाई बाद 2 दिनों के अंदर प्रति एकड़ खेत में 800 ग्राम पेन्डीमेथालिन का छिड़काव करें।

  • गन्ने के अंकुरण से पहले प्रति एकड़ खेत में 800 ग्राम एट्राजिन का प्रयोग करें। यह दवा बाजार में एट्राटाफ एवं धानुजीन के नाम से उपलब्ध है।

  • खड़ी फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई के 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें।

  • इसके बाद 30-30 दिनों के अंतराल पर या आवश्यकता के अनुसार दूसरी एवं तीसरी बार निराई-गुड़ाई करें।

  • गन्ने की फसल में चौड़ी पत्ती के खरपतवारों की समस्या होने पर प्रति एकड़ खेत में 600 ग्राम वीडमार या 2,4-डी नामक दवा का छिड़काव करें।

  • गन्ने की सहफसली खेती करने पर भी खरपतवारों की समस्या कम हो जाती है। इसके लिए आप गन्ने की 2 पक्तियों के बीच मूंग, उड़द, लोबिया, भिंडी, आदि लगा सकते हैं।

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