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गन्ने की फसल को बर्बाद कर रहा ग्रासी शूट, जानिए बचाव के उपाय
गन्ने की फसल को बर्बाद कर रहा ग्रासी शूट, जानिए बचाव के उपाय
सितम्बर माह में अक्सर गन्ने की खड़ी फसल में कई प्रकार के कीट और रोगों का आक्रमण देखने को मिलता है। समय रहते यदि इनकी रोकथाम नहीं की जाए तो न केवल गन्ने की उत्पादकता बल्कि गन्ने के बाजार मूल्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। गन्ने की समस्याओं में बेहद आम और खतरनाक “ग्रासी शूट” की समस्या है। इसे “एल्बिनो” के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी एक तरह के जीवाणु जिसे फायटोप्लाजमा भी कहा जाता है, के द्वारा होती है। बहुत छोटे स्तर पर शुरू होने के बाद यह देखते ही देखते पूरे खेत में फैल जाता है। इतना ही नही संक्रमित पौधों के साथ-साथ इसका असर सहायक फसल पर भी देखने को मिलता है। इस आर्टिकल में हम इसके समाधान के साथ-साथ आपके इसके लक्षण के बारे में भी बतायेंगे, जिससे समय रहते इसकी पहचान करके आप अपनी फसल को ग्रासी शूट बीमारी से बचा सकेंगे।
ग्रासी शूट से संक्रमित पौधों में लक्षण
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खेत में ग्रासी शूट का असर बुवाई के कुछ दिनों के बाद ही फसल में देखने को मिल सकता है। फसल के प्राथमिक वानस्पतिक विकास की स्थिति के दौरान अगर पौधे संक्रमित हो जाते हैं, तो लक्षण के तौर पर पत्तियों का रंग हल्का-हरा होकर सफ़ेद होने लगता है।
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संक्रमित पौधों की पोरियां छोटी रह जाती हैं, फलस्वरूप पौधो में कल्ले भी छोटे निकलते हैं और पौधे झाड़ीनुमा दिखने लगते हैं।
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संक्रमण बढ़ने से पौधे सूख कर बर्बाद हो जाते हैं।
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रोग से संक्रमित पौधों में सुक्रोज कम होता है। साथ ही गन्ने के उत्पादन में 30-40 % तक गिरावट देखी जाती है।
रोग नियंत्रण
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ग्रसित पौधों को जितनी जल्द हो सके खेत से हटाकर नष्ट कर दें।
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“प्लांट हॉपर” जैसे कीट रोग के फैलाव के लिए एक प्रमुख रोग वाहक कहे जाते हैं। कीट को नियंत्रित कर जीवाणु के फैलाव को रोका जा सकता है।
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